खुद को खोकर क्या पाना
इस ज़माने के साथ , चलना है माना.....!!!
शराफत भी हो , शोहरत भी कमाना......!!!
इस तेज़ रफ़्तार में , खुद को ना खोना......!!!
लगे ना कभी की-
" खुद को खोकर क्या पाना"..!!
सचमुच बड़ी तेज़ , भाग रही जिंदगी ......!!!
थोडा मुश्किल है इसको , ठीक समझ पाना......!!!
पर सब्र ही सबसे वाज़िब दावा है......!!!
रुतबा तो ठीक , दिल जीत लाना.....!!!
मीठे लफ्जों से जीतो , मधुर वाणी रखो......!!!
पर किसी का दिल , तुम नहीं दुखाना......!!!
अकड़ कर जो जीता , तो क्या जीत उसकी......!!!
सर झुकाकर तुम सारे , गढ़ जीत लाना......!!!
दिल साफ़ रखना , सबको अपनाना......!!!
बड़े और छोटे में भेद ना लाना......!!!
चोरी ना करना , ना किसी से छिपाना......!!!
मुश्किल है खुदा की , नज़रों से बच पाना......!!!
ना खुद कभी रुकना , ना किसी को सताना.. ....!!!
ना खुद कभी थमना , ना किसी को थकाना......!!!
आज का रौब है , कल रहे ना रहे यह......!!!
हर जिंदगी का पहलु , हंस के अपनाना......!!!
माना 'माया' की महिमा , सबसे अलग है......!!!
मगर मोह न इसका इतना बढ़ाना......!!!
संभालना ज़रा तुम , खुद के लिए ही....!!!
लगे ना कभी की......!!!
" खुद को खोकर क्या पाना".....!!!!!
कसाब नहीं अभिशाप.. !!
पाल पोस कर बड़ा कर दो , उस निर्दयी हत्यारे को......!!!
क्यों जेल में भुगता रहे हो , उस निष्ठुर बेचारे को......!!!
बार बार सजा सुनाकर , फिर बचने को कहते हो......!!!
एक बार में फंसी दे दो , किस से डरते रहते हो......!!!
इस देरी से झलक रही है , सरकार की लाचारी......!!!
खौफ में सहमी बेठी है , यह जनता बेचारी......!!!
मौका है साबित करने का , की देश के तुम हितेषी हो......!!!
कभी कभी तो लगता है , कुर्सी पर बैठे विदेशी हो......!!!
उस चेहरे को देख देख कर , चीखे गूंजा करती है......!!!
हर माँ अपने बेटे की , तस्वीर देख सिहरती है......!!!
उन परिवारों की सिसकियो , की ही दुहाई लेलो......!!!
इतनी आंखे देख रही है , ठोस निर्णय तो लेलो....!!!
आस लगाये बैठे है , न्याय की हम सब ही......!!!
अपने इस कानून से तुम , इस तरह ना खेलो..!!
छलनी करकर पूछते हो , हाल मेरे इस दिल का तूम......!!!
बेटा, माँ हु सह लूगी , तेरे अब हर वार का जुल्म..!!
तुने मेरे आंचल में ,भ्रष्टाचार को बोया है......!!!
तेरे हाथो में देश दिया , तू कुम्भकरण सा सोया है......!!!
भूके प्यासे बच्चो का क्या , रुदन नहीं सुनाई दिया......!!!
कैसे तुने मेरे आंचल को , (बेटियों के) खून से भिगोया है..!!
जात पात , भेद भाव , यह अब भी कायम रख छोड़े......!!!
आरक्षण और जातिवाद ने , यह कैसे रास्ते है मोड़े......!!!
शिक्षा और भिक्षा में कोई , अंतर ही ना छोड़ा है......!!!
नन्ही नन्ही कलियों को , जीवन से पहले तोड़ा है..!!
किसको बोलू किस से कहु , सब ही भागीदारी हो......!!!
तुमसे कुछ भी कहना अब , शायद एक गद्दारी हो......!!!
जाने इस बोझ को , कब तक सह में पाऊँगी......!!!
शायद इस बोझ तले , में जल्द दफ़न हो जाउंगी..!!
हर बार माफ़ कर देती हु , ममता में बह-बह कर मैं......!!!
इस बार भी माफ़ी दे दी है , हर जुल्म सह-सह कर यह......!!!
मुझे डर है खो ना दू , मेरे लाल सपूतो को......!!!
वादा कर दो इस बार अभी......!!!
लौटा दोगे मुझको - मेरा गौरव , मेरा मान.. ....!!!
लौटा दोगे मुझको - मेरा वही न्यारा सम्मान...!!!
लौटा दोगे ना मुझे मेरा प्यारा हिंदुस्तान......!!!!
कभी दर्द लिए , कभी दावा लिए......!!!
कभी मर्ज लिए , कभी दुआ लिए......!!!
एक रिश्ता हमसे जुड़ गया......!!!
कुछ कदम साथ चले हम......!!!
किसी मोड़ पर वो मुड़ गया......!!!
था अजीब कुछ बंधन ऐसा......!!!
कभी मिला कभी बिछुड़ गया......!!!
दे दिया नाम दोस्ती इसे......!!!
कभी खिला कभी निचुड़ गया..!!
उसके कांधे पर रोये भी......!!!
उस ही कांधे पर सोये भी......!!!
उसी को समझा सहारा भी था......!!!
उसके जाने पर रोये भी......!!!
खट्टी, मिट्ठी, नमकीन सही......!!!
अब यादें जिन्दा बसति है......!!!
वो है नहीं फिर भी कही......!!!
यह आंखे हरदम हँसती है......!!!
कहते है मरता नहीं......!!!
यह रिश्ता दोस्ती का......!!!
वो दूर सही नजदीक नहीं......!!!
पर भरोसा इस पर से खोये नहीं....!!!!
कभी याद हमारी आये तो....!!!
पलकें अपनी तुम भिगोना नहीं......!!!
कभी दिल भी दुःख सा जाये तो......!!!
यादों से दूर तुम होना नहीं......!!!
यह बात पुरानी सच ही है......!!!
खो जाऊ अगर तो रोना नहीं.. ....!!!
यह मिलना बिछड़ना जीवन है......!!!
सपनो में सही गुम होना नहीं......!!!
आंसू अपने तुम चुन लेना......!!!
इन्हें हम पर तुम खोना नहीं......!!!
जब याद हमारी आये तो......!!!
सह लेना मगर तुम रोना नहीं......!!!
तेरी ख़ुशी में है मेरी ख़ुशी......!!!
तेरे अश्को की वजह हमें होना नहीं......!!!
हम तुझसे रूठ नहीं सकते.. ....!!!
मेरी यादों से दूर कभी होना नहीं.....!!!
हु आज अभी , कल ना भी हो.....!!! .
मुंदु आंखे तो रोना नहीं..!!
प्यार - इश्क या जुदाई
मोहब्बत संग , रुसवाई भी देखी......!!!
आशिकी संग , जुदाई भी देखी......!!!
देखा है जज्बा, सबसे लड़ जाने का......!!!
कभी आंखे नम, कभी पथराई भी देखी.....!!!
यह तूफ़ान, जो अन्दर थमा ही नहीं था......!!!
उसे फिर से लेते , अंगड़ाई भी देखी......!!!
यह समां, जो कभी धुंधलाता नहीं था......!!!
उस कांच पर धुंध, सी छाई भी देखी..!!
दो पहियों की तरह, संग चलते भी देखा......!!!
दो पल में उनकी, लड़ाई भी देखी......!!!
पंछियों की तरह, संग उड़ते भी देखा......!!!
किसी कोने से, उनकी विदाई भी देखी..!!
जब मिले दो दिल, इस निष्ठुर जहाँ में......!!!
तो सबकी नजर में, वाहवाही भी देखी.....!!!
कुछ ही पालो में, अलग जो हुए वो......!!!
तो सबकी नज़रे झुकाई भी देखी..!!
कभी दर्द लिए , कभी दावा लिए...!!!
कभी मर्ज लिए , कभी दुआ लिए.....!!!
एक रिश्ता हमसे जुड़ गया.....!!!
कुछ कदम साथ चले हम.....!!!
किसी मोड़ पर वो मुड़ गया..!!!
था अजीब कुछ बंधन ऐसा....!!!
कभी मिला कभी बिछुड़ गया....!!!
दे दिया नाम दोस्ती इसे....!!!
कभी खिला कभी निचुड़ गया....!!!
खट्टी, मिट्ठी, नमकीन सही.....!!!
अब यादें जिन्दा बसति है......!!!
वो है नहीं फिर भी कही......!!!
यह आंखे हरदम हँसती है......!!!
कहते है मरता नहीं........!!!
यह रिश्ता दोस्ती का........!!!
वो दूर सही नजदीक नहीं........!!!
पर भरोसा इस पर से खोये नहीं......!!!!!
कभी याद हमारी आये तो....!!!
पलकें अपनी तुम भिगोना नहीं....!!!
कभी दिल भी दुःख सा जाये तो....!!!
यादों से दूर तुम होना नहीं....!!!
तेरी ख़ुशी में है मेरी ख़ुशी......!!!
तेरे अश्को की वजह हमें होना नहीं......!!!
हम तुझसे रूठ नहीं सकते....!!!
मेरी यादों से दूर कभी होना नहीं......!!!
मोहब्बत संग , रुसवाई भी देखी.....!!!
आशिकी संग , जुदाई भी देखी.....!!!
देखा है जज्बा, सबसे लड़ जाने का.....!!!
कभी आंखे नम, कभी पथराई भी देखी.....!!!!!
जब मिले दो दिल, इस निष्ठुर जहाँ में....!!!
तो सबकी नजर में, वाहवाही भी देखी....!!!
कुछ ही पालो में, अलग जो हुए वो....!!!
तो सबकी नज़रे झुकाई भी देखी....!!!!
यह मिलना बिछड़ना जीवन है...!!!
सपनो में सही गुम होना नहीं...!!!
आंसू अपने तुम चुन लेना...!!!
इन्हें हम पर तुम खोना नहीं...!!!
मीठे लफ्जों से जीतो , मधुर वाणी रखो.....!!!
पर किसी का दिल , तुम नहीं दुखाना.....!!!
अकड़ कर जो जीता , तो क्या जीत उसकी.....!!!
सर झुकाकर तुम सारे , गढ़ जीत लाना.....!!!
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