इज़हार-ए-मुहब्बत के बाद भी मुहब्बत आधी-अधूरी रह जाए….......##...##...##....??
इससे तो बेहतर होगा कि मुहब्बत इक तरफ़ा ही निभाई जाए.......##...##...##
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इश्क़ इज़हार तक नहीं पहुंचा
शाह दरबार तक नहीं पहुंचा
चारागर भी निजात पा लेते
जहर बीमार तक नहीं पहुंचा
मेरी किस्मत की मेरे दुश्मन भी
मेरे मयार तक नहीं पहुंचा
उससे बातें तो खूब की लेकिन
सिलसिला प्यार तक नहीं पहुंचा
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टकरा ही गई मेरी नज़र उनकी नज़र से धोना ही पङा हाथ मुझे कल्ब-ओ-जिगर से इज़हार-ए-मोहब्बत न किया बस इसी डर से ऐसा न हो गिर जाऊँ कहीं उनकी नज़र से ऐ ...##…
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नज़रें मेरी थक न जायें कहीं तेरा इंतज़ार करते-करते;
यह जान मेरी यूँ ही निकल ना जाये तुम से इश्क़ का इज़हार करते-करते।
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बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ;
वो तो खुशबु है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ;
उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन;
दिल करता है आखिरी सांस तक उसका इंतज़ार करूँ।
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ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया
और मरता हूँ तो मरने नहीं देती दुनिया
सब ही मय-ख़ाना-ए-हस्ती से पिया करत हैं
मुझ को इक जाम भी भरने नहीं देती दुनिया
एक वक़्त था की इज़हार -ऐ-मोहब्बत के हमें शब्द नहीं मिलते थे मेहरबानी तेरी बेवफ़ाई की हमको शायर बना दिया.......##...##...##.......##...##...##
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अच्छा करते हैं वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते,
ख़ामोशी से मर जाते हैं मगर किसी को बदनाम नहीं करते…
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इज़हार कर देना वरना,एक ख़ामोशी उम्रभर का इंतजार बन जाती है
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भीगते बारिश के इस मौसम में कुछ ऐसे उनका दीदार हुआ,
एक पल में उनसे महोब्बत हुई ज़िन्दगी भर उसका इज़हार हुआ
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कर दिया “हमनें” भीं “इज़हार-ए-मोहब्बत” फोन पर
लाख” रूपये की बात थी, “एक” रूपये में हो गयी।
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बडी शिद्धत के साथ प्यार का इज़हार करने चले थे |
पर उसने मुझ से पहले एैसा करके , ज़ुबां पर ताला लगा दिया
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मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया,
मेरी कश्ती को दरिया पार करना ही नहीं आया.......##...##...##
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एक इज़हार-ए-मोहब्बत ही बस,
होता नहीं हमसे, हमसा माहिर जहाँ में वरना और कौन है…
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ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें;
हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें;
मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें;
अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें।
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मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है, और कुछ भी नहीं…...##...## ....??....??
सोचता हूँ की कोई तो संभल जाएगा, मुझे पढने के बाद…...##...##
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तेरी आँखो का इज़हार मै पढ़ सकता हूँ
पगली किसी को अलविदा युँ मुस्कुराकर नहीं कहते;
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इज़हार-ए-इश्क करें तो कॆसे॥ वो नज़रें मिलाता नहीं पर लफ्ज़ मेरा साथ देते नहीं। अब तुम ही बताओ हम
उनसे इज़हार-ए-इश्क करें तो कॆसे॥
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जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है,
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है।
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इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…...##
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हमने हमारे इश्क़ का, इज़हार यूँ किया…
फूलों से तेरा नाम, पत्थरों पे लिख दिया…...##...##...##
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देख मज़ाक ना उड़ा गरीब का इज़हार-ए-मोहब्बत के नाम पर सच बोल…...##
झूठ कहा था न के “तुमसे प्यार करती हूँ”
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कब उनकी पलकों से इज़हार होगा ?
दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा;
गुज़र रही है हर रात उनकी याद में,
कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा ...##
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मैं लफ़्ज़ों से कुछ भी इज़हार नही करता,
इसका मतलब ये नई के मैं तुझे प्यार नही करता,
चाहता हूँ मैं तुझे आज भी पर तेरी सोच मे अपना वक़्त बेकार नही करता,…
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दिल की आवाज़ को इज़हार कहते है,
झुकी निगाह को इकरार कहते है,
सिर्फ पाने का नाम इश्क नहीं,
कुछ खोने को भी प्यार कहते है.......##...##...##.......##...##...##
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हज़ारों दफा कर दिया है इज़हार ए इश्क इन आँखों नें.......##...##...##....??
तुम वाकई नहीं समझे या बस यूँ ही अनजान बने बैठे हो
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मोहब्बत का मेरी इज़हार करे, कह दो तुम अपनी नजर से,
ख़त लिखना था खुद मिलो, जब भी गुजरो तुम इधर से
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ये बात और है कि इज़हार ना कर सकेँ, नहीँ है तुम से मोहब्बत.......##...##...##....??
भला ये कौन कहता ...##...##...##...##
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उन्हे इज़हार करना नही आया उन्हे हमे प्यार करना नही आया हम बस देखते ही रह गये और वक़्त को थमना नही आया वो चलते चलते इतने दूर चले गये हमे रोकना भी नही आया ...##...##...##
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इज़हार-ए-याद करुँ या पूछूँ हाल-ए-दिल उनका,
ऐ दिल कुछ तो बहाना बता उनसे बात करने का
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वो करीब ही न आये तो इज़हार क्या करते...##
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते...##
मर गए पर खुली रखी आँखें...##
इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते...##
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Izhaar Hindi Shayari
इज़हार क्यों किया था,इकरार क्यों किया था,
जब जाना बहुत दूर,
फिर प्यार क्यों किया था,
ना थी कोई रंजिश,और ना थी कोई शिकायत,
जब हार गया दिल तुझपे,ये वार क्यों किया
था.......##...##...##.......##...##...##
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आज इज़हार-ए-इश्क होना है, आज इकरार-ए-इश्क होना है,....??
आज इश्क का दिन है,दोस्तों, आज गुलज़ार-ए-इश्क होना है,....??
आज वार दिया,सब इश्क में, आज निसार-ए-इश्क होना है,....??
आज जरूरत नही,मैखाने की, आज ख़ुमार-ए-इश्क होना है,
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तुझसे मैं इज़हार -ए-मोहब्बत इसलिए भी नहीं करता.......##...##...##....??
सुना है बरसने के बाद बादल की अहमियत नहीं रहती ...##...##...##...##
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झुकी हुई नज़रों से इज़हार कर गया कोई,
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं.......##...##...##....??
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.......##...##...##.......##...##...##
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मेरी फितरत में नहीं अपने ग़म का इज़हार करना,,,
अगर उसके वजूद का हिस्सा हूँ
मैं तो खुद महसूस करे वो तकलीफ मेरी…...##...##...##
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इज़हार, एतबार और इनकार,
फासले अल्फ़ाज़ों के हैं,
जब भी चाहो गुफ़तगू कर लो,
मामलें तो हम मिज़ाज़ों के हैं।
कोई सोंचता नहीं इम्तिहान लेने के खातिर,
टूटते कितने दिल हम ख्यालों के हैं।
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