फिर तेरा चर्चा हुआ, आँखें हमारी नम हुई,
धड़कनें फिर बढ़ गई, साँस फिर बेदम हुई,
चाँदनी की रात थी, तारों का पहरा भी था,
इसीलिये शायद गम की आतिशबाजी कम हुई...!!!
ये रात चाँदनी बनकर आँगन में आये,
ये तारे लोरी गा कर आपको सुनाएं,
आयें आपको इतने प्यारे सपने यार ...!!!
कि नींद में भी आप हलके से मुस्कुराएं...!!!
मुझे इश्क है बस तुमसे नाम बेवफा मत देना,
गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना,
जो दिया है तुमने वो दर्द हम सह लेंगे मगर,
किसी और को अपने प्यार की सजा मत देना...!!!
सफ़र दोस्ती का कभी ख़त्म न होगा,
दोस्तों मेरा प्यार कभी कम न होगा,
दूर रहकर भी रहेगी महक इसकी,
हमें कभी बिछड़ने का ग़म न होगा...!!!
तुझसे दूरियां तो मिटा दूँ मैं... एक पल में मगर,
कभी कदम नहीं चलते कभी रास्ते नहीं मिलते...!!!
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी,
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोखा है सब मगर फिर भी...!!!
चाहा है तुम्हें अपने अरमान से भी ज्यादा,
लगती हो हसीन तुम मुस्कान से भी ज्यादा,
मेरी हर धड़कन हर साँस है तुम्हारे लिए,
क्या माँगोगे जान मेरी जान से भी ज्यादा...!!!
अब आ गए हो आप तो
आता नहीं कुछ याद,
वरना कुछ हमको आप से
कहना ज़रूर था...!!!
देर लगी आने में तुमको,
शुक्र है फिर भी आये तो,
आस ने दिल का साथ न छोड़ा,
वैसे हम घबराये तो...!!!
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे...!!!
तेरे हर गम को अपनी रूह में उतार लूँ,
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ,
मुलाकात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी,
सारी उम्र बस एक मुलाकात में गुज़ार लूँ...!!!
घुट घुट के जी रहा हूँ तेरी नौकरी में ऐ दिल,
बेहतर तो होगा अब तू कर दे मेरा हिसाब,
शिकवे तो कम नहीं है पर क्या करुं शिकायत,
कहीं हो न जाएं तुझसे रिश्ते मेरा खराब...!!!
आशियाँ बस गया जिनका, उन्हें आबाद रहने दो,
पड़े जो दर्द भरे छाले, जिगर में यूँ ही रहने दो,
कुरेदो ना मेरे दिल को, ये अर्जी है जहां वालों,
छिपा है राज अब तक जो, राज को राज रहने दो...!!!
नीचे गिरे सूखे पत्तों पर
अदब से चलना ज़रा
कभी कड़ी धूप में तुमने
इनसे ही पनाह माँगी थी...!!!
ऐ सनम मैं तेरे लिए बदनाम हो जाऊं,
तू अपनी ओर खींचे वो लगाम हो जाऊं,
किसी और मंजिल की चाह नहीं मुझको,
सिर्फ तेरी ही गलियों में गुमनाम हो जाऊं...!!!
तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे हैं,
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे हैं,
तू एक नज़र हम को देख ले बस,
इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं...!!!
दिल तड़पता है इक ज़माने से,
आ भी जाओ किसी बहाने से,
बन गये दोस्त भी मेरे दुश्मन,
इक तुम्हारे क़रीब आने से...!!!
जब अपना तुम्हें बना ही लिया,
कौन डरता है फिर ज़माने से,
तुम भी दुनिया से दुश्मनी ले लो,
दोनों मिल जाएं इस बहाने से...!!!
चाहे सारे जहान मिट जाएं,
इश्क मिटता नहीं मिटाने से...!!!
जब अपना तुम्हें बना ही लिया,
कौन डरता है फिर ज़माने से,
तुम भी दुनिया से दुश्मनी ले लो,
दोनों मिल जाएं इस बहाने से...!!!
जान-ए-तन्हा पे गुजर जायें हजारो सदमें,
आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं...!!!
उसे लगता है कि उसकी चालाकियाँ
मुझे समझ नहीं आती,
मैं बड़ी खामोशी से देखता हूँ
उसे अपनी नज़रों से गिरते हुए...!!!
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