- एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!
- उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!
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- वो एक मिटी हुई सी इबारत बनी रही ,
- चेहरा खुली किताब था, किस्मत सियाह थी!
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- शेहनाइयां उसे भी बुलाती रही मगर,
- शेहनाइयां-उसे भी बुलाती रही मगर,
- हर मोड़ पर दहेज़ की कुर्बान्गाह थी!
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- और वो चाहती थी कि रूह उसे सौंप दे मगर,
- वो चाहती थी कि रूह उसे सौंप दे मगर,
- उस आदमी की सिर्फ बदन पर निगाह थी!
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- अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे
- तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे
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- जहा रहेगा वही रोशनी लुटायेगा
- किसी चिराग का अपना माकन नहीं होता
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- अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे
- तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे
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- ताल्लुकात कभी एक से नहीं रखते
- उसे गँवा के भी जीने का हौशला रखना
- जब अपने ही लोग आयेंगे लूटने के लिए
- तो दोस्ती का तकाजा है घर खुलना रखना
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- वो मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता
- मगर इन एहतियातो से ताल्लुक मर नहीं जाता
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- मुहब्बत के ये आंशु है इन्हें आँखों में रहने दो
- शरीफों के घरों का मशला बाहर नहीं जाता
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- मुहब्बत के दिनों की यही खराबी है
- यह रूठ जाये तो फिर लौट कर नहीं आते
- खुसी की आंख में आंशु की भी जगह रखना
- बुरे ज़माने किसी से पूछ कर नहीं आते
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- वो प्यार जिसके लिए हमने क्या गवां न दिया
- उसी ने बच के निकलने का रास्ता न दिया
- जब एक बार जला ली हाथेलीया अपनी
- तो फिर खुदा ने उस हाथ में दिया न दिया
- जबान से दिल के सभी फैसले नहीं होते
- उसे भुलाने को कहते तो थे पर भुला न दिया
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- मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले
- हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं
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- मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले
- हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं
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- अब भी कुछ नहीं बिगड़ा प्यारे पता करो लोहारों का
- धार गिराना काम नहीं है लोहे पर सोनारों का
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- अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए
- जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
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- इस जहाँ में प्यार महके जिंदगी बाकी रहे
- ये दुआ मांगो दिलों में रोशनी बाकी रहे
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- अबके सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
- मेरा घर छोड़कर कुल शहर में बरसात हुई
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- अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूं
- अब मैं राशन की क़तारों में नज़र आता हूं
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- आदमी आदमी को क्या देगा, जो भी देगा वही खुदा देगा
- जिंदगी को क़रीब से देखो, इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा
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- सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है
- जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है
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- मेरी निगाहों ने छेड़ा था ,
- एक दिन नगमा प्यार का !
- उसके बदन से,
- अभी तक सदाए आती है !
- कभी हक में रहे थे,
- मेरे गुलुश्फा-इशरत !
- अब उन लबो पर,
- फरकत बददुआए आती है !
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- ग़ालिब का एक शेर है
- तेरे वादे पर जिए हम ,तो ये जान छूट जाना
- की खुशी से मर जाते , अगर ऐतबार होता
- अर्थ है
- ऐ दोस्त ,तू मुझे ज़िंदा देखकर यह न समझ की मैंने तेरे वादे पर ऐतबार किया था ..
- अगर कहीं मैंने तेरा ऐतबार किया होता तो ख़ुशी के मारे मर गया होता ...
- ज़िंदा रहना ही इस बात का सबूत है की मुझे तेरे वादे पर विश्वाश नहीं है
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- दिल का कोई सौदा नहीं होता
- जिस पर आता उसी का होता
- चलते है जो जीवन मे साथ
- निभाते हैं हर समय
- चाहे न चलते हों राह पर हाथ में डालकर हाथ अपने मन की आंखें बंद कर लो
- नींद स्वयं ही आ जाती है
- जो संभाला कोई ख्याल तो
- फिर गायब हो जाती है
- सोने से मिला सुख नहीं मिलता
- जिसके लिये बनी है रात
- गीत-संगीत के तोहफों से
- बिखरी पड़ी है दुनियां
- अपने कानों से मीठी आवाज सुनने के लिये
- क्या किसी से शब्द और आवाज मांगना
- इस जीवन में किससे आशा
- और किससे निराशा
- जिनसे उम्मीद करोगे
- बनायेंगे तमाशा
- जीवन को जिंदा दिलों की तरह जियो
- जब तक न छोड़े अपना साथ
- **************************
- १) सुर्ख लबों पेम जो तेरा नाम आया हैं,
- नर्म आँखों से जो यादें बहीं हैं,
- दिल झूमकर बस गा रहा हैं,
- मेरे मन में बस एक तूहीं हैं...
- **************************
- २) बस चाँद को देखना हमें गवारा नहीं,
- इन आँखों को तो तेरा इंतजार हैं,
- चांदनी रात अब हमें लूभाती नहीं,
- तेरा साथ अगर दुश्वार हैं...
- **************************
- ३) किसी का नाम लबों पर आना इकरार नहीं होता,
- प्यार का इजहार ही बस मंजूर नहीं होता,
- किसी के याद से जबतक दिल बेकरार नहीं होता,
- जान मेरी तबतक यह प्यार नहीं होता...
- **************************
- ४) दिल की मजबूरियाँ उन्हें बता न सकें,
- वो ख़ुद भी तो यें समझ न सकें,
- और फासला बढ़ता ही गया,
- हम ख़ुद होकर उसे मिटा न सकें...
- **************************
- ५) दिल की तनहाईयों में आपका साथ पाया, और हम आपकें दीवानें हो गयें,
- सोचतें हैं अब इस दुनिया में, कितनीं शमाएं, कितनें परवानें हो गयें,
- शमा और परवानेंका साथ तो, जनम-जनम का बंधन हैं,
- हम और आप क्या अलग हैं, जीवन आपको अर्पण हैं...
- **************************
- जनाजा रोककर वो मेरे से इस अन्दाज़ मे बोले,
- गली छोड्ने को कही थी हमने तुमने दुनियां छोड दी।
- जो गिर गया उसे और क्यों गिराते हो,
- जलाकर आशियाना उसी की राख उड़ाते हो ।
- गुज़रे है आज इश्*क के उस मुकाम से,
- नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से ।
- जब जुबां खामोशी होती है नज़र से काम होता है,
- ऐसे माहौल का ही शायद मोहब्बत नाम होता है।
- वो फूल जिस पर ज्यादा निखार होते हैं,
- किसी के दस्त हवस का शिकार होते हैं ।
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- मै जिसके हाथ मे एक फूल दे कर आया था,
- उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश मे है ।
- यूं तो मंसूर बने फिरते हैं कुछ लोग,
- होश उड जाते हैं जब सिर का सवाल आता है ।
- मुझे तो होश नही, तुमको खबर हो शायद ,
- लोग कहते है कि तुम ने मुझ को बर्बाद कर दिया ।
- देखिए गौर से रुक कर किसी चौराहे पर,
- जिंदगी लोग लिए फिरते हैं लाशों के तरह ।
- इस नगर मे लोग फिरते है मुखौटे पहन कर,
- असल चेहरों को यहां पह्चानना मुमकिन नही ।
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- गीत-संगीत के तोहफों से
- बिखरी पड़ी है दुनियां
- अपने कानों से मीठी आवाज सुनने के लिये
- क्या किसी से शब्द और आवाज मांगना
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- इस जीवन में किससे आशा
- और किससे निराशा
- जिनसे उम्मीद करोगे
- बनायेंगे तमाशा
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- तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!
- हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!
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- तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!
- हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!
- तुझे खबर भी है इसकी ओ रूठने वाले,
- तुम्हारा प्यार ही मेरा कीमती खजाना था!
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- तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!
- हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!
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- तुझे खबर भी है इसकी ओ रूठने वाले,
- तुम्हारा प्यार ही मेरा कीमती खजाना था!
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- तुम्हारी रात का नुकसान इसमें क्या होता,
- तुम्हे तो आके मेरा होसला बढ़ाना था!
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- तुम्हे तो इल्म है, क्या खूब वो ज़माना था!
- हमारे पास तुम्हारा भी आना-जाना था!
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- तुझे खबर भी है इसकी ओ रूठने वाले,
- तुम्हारा प्यार ही मेरा कीमती खजाना था!
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- तुम्हारी रात का नुकसान इसमें क्या होता,
- तुम्हे तो आके मेरा होसला बढ़ाना था!
- तमाम बातें ये उजड़ा चमन बता देगा,
- इसी चमन में कभी अपना आशियाना था!
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- नकाब रुख से हटाओ,के रात जाती है!
- कोई तो बात सुनाओ, के रात जाती है!
- जो मैकदे में नहीं माय तो क्या हुआ,
- हमें नज़र से पिलाओ, के रात जाती है!
- वो एक शब् के लिए मेरे घर पे आये हैं,
- सितारे तोड़ के लाओ, के रात जाती है!
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- धोखा न देना, तुझ पे ऐतबार बहुत है!
- ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है!
- तेरी सूरत न देखें , तो दिखाई कुछ नहीं देता,,
- हम क्या करें के तुझ से हमें प्यार बहुत है!
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- आरज़ू ये है कि उनकी हर नज़र देखा करें!
- वो ही अपने सामने हों, हम जिधर देखा करें!
- इक तरफ हो सारी दुनिया, इक तरफ सूरत तेरी;
- हम तुझे दुनिया से होकर बेखबर देखा करें !
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- रात घिरे तक घायल नगमें, करते हैं एलान यहाँ!
- ये दुनिया है संग-दिलों कि, कोई नहीं इंसान यहाँ!
- प्यार भीख में भी मांगो तो कोई प्यार न डाले झोली में;
- बिन मांगे मिल जाते हैं, रुसवाई के सामान यहाँ!
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- एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!
- उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!
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- एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!
- उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!
- वो एक मिटी हुई सी इबारत बनी रही ,
- चेहरा खुली किताब था, किस्मत सियाह थी!
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- एक-एक सांस उसके लिए कत्लगाह थी!
- उसका गुनाह ये था कि वो बेगुनाह थी!
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- वो एक मिटी हुई सी इबारत बनी रही ,
- चेहरा खुली किताब था, किस्मत सियाह थी!
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- शेहनाइयां उसे भी बुलाती रही मगर,
- शेहनाइयां-उसे भी बुलाती रही मगर,
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