- गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
- अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं
- ***************************
- कभी —कभी मुझे यूँ भी अज़ाँ बुलाती है
- शरीर बच्चे को जिस तरह माँ बुलाती है
- ***************************
- मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
- माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
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- मेरा खुलूस तो पूरब के गाँव जैसा है
- सुलूक दुनिया का सौतेली माओं जैसा है
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- रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
- ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएँ बुझ गईं
- ***************************
- कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है
- जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है
- ***************************
- इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
- माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
- ***************************
- हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं
- सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं
- ***************************
- हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खाते
- बच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते
- ***************************
- इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
- माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
- शानदार.....................
- ***************************
- अभी आस टूटी नहीं है खुशी की
- अभी गम उठाने को जी चाहता है
- तबस्सुम हो जिसमें निहाँ जिन्दगी का
- वह आंसू बहाने को जी चाहता है
- तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कुराहट निहाँ - छुपा हुआ
- ***************************
- आदमी को सिर्फ वहम है, पास उसके ही इतना गम है
- पूछो हंसते हुए चेहरों से, आंख भीतर से कितनी नम है
- ***************************
- इन्हीं जर्रों से कल होंगे नये कुछ कारवाँ पैदा
- जो जर्रे आज उड़ते हैं गुबारे-कारवाँ होकर।
- ***************************
- एक लम्हा भी खुशी का बहुत होता है,
- लोग जीने का सलीका ही कहाँ रखते हैं।
- ***************************
- आदमी को सिर्फ वहम है, पास उसके ही इतना गम है
- पूछो हंसते हुए चेहरों से, आंख भीतर से कितनी नम है
- बहुत अच्छी बात कह दी आपने इस शेर में....
- दुनिया में कितना गम हैमेरा गम कितना कम है
- ***************************
- बहुत अच्छी बात कह दी आपने इस शेर में....
- दुनिया में कितना गम हैमेरा गम कितना कम है
- शुक्रिया मुन दादा ...............
- ***************************
- ऐ दिल जो हो सके तो लुत्फे-गम उठा ले
- तन्हाइयों में रो ले, महफिल में मुस्कुरा ले
- जिस दिन यह हाथ फैले अहले-करम के आगे
- ऐ काश उसके पहले हमको खुदा उठा ले
- ***************************
- कहाँ दूर हट के जायें हम दिल की सरजमीं से,
- दोनों जहाँ की सैरें हासिल है सब यहीं से
- ***************************
- अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
- ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है
- लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
- यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
- मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
- हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है
- हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
- हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
- जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
- किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है
- सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
- किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है
- ***************************
- मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा
- मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए।
- जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे
- मेरा आँसु तेरी पलकों से उठाया जाए।
- ***************************
- वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ
- मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा
- चार पैसे कमाने मैं आया शहर
- गाओं मेरा मुझे याद आता रहा
- लौटता था मैं जब पाठशाला से घर
- अपने हाथों से खाना खिलती थी माँ
- रात में अपनी ममता के आँचल तले
- थपकीयाँ मुझे दे के सुलाती थी माँ
- सोच के दिल में एक टीस उठती रही
- रात भर दर्द मुझको जागता रहा
- चार पैसे कमाने मैं आया शहर
- गाओं मेरा मुझे याद आता रहा
- सबकी आँखों में आँसू छलक आए थे
- जब रवाना हुआ था शहर के लिए
- कुछ ने माँगी दुआएँ की मैं खुश रहूं
- कुछ ने मंदिर में जाके जलाए दिए
- एक दिन मैं बनूंगा बड़ा आदमी
- ये तसव्वुर उन्हें गुदगुदाता रहा
- चार पैसे कमाने मैं आया शहर
- गाओं मेरा मुझे याद आता रहा
- माँ ये लिखती हर बार खत में मुझे
- लौट आ मेरे बेटे तुझे है क़सम
- तू गया जबसे परदेस बेचैन हूँ
- नींद आती नहीं भूख लगती है कम
- कितना चाहा ना रोऊँ मगर क्या करूँ
- खत मेरी माँ का मुझको रुलाता रहा
- चार पैसे कमाने मैं आया शहर
- गाओं मेरा मुझे याद आता रहा
- ***************************
- कोई चराग ,ना आँसू, ना आरज़ू ए सहर
- खुदा करे कि किसी घर में, ऐसी शाम न हो
- अजीब शर्त लगाई है एहतियातों ने
- कि तेरा ज़िक्र करूँ और तेरा नाम न हो
- ***************************
- माँ ये लिखती हर बार खत में मुझे
- लौट आ मेरे बेटे तुझे है क़सम
- तू गया जबसे परदेस बेचैन हूँ
- नींद आती नहीं भूख लगती है कम
- कितना चाहा ना रोऊँ मगर क्या करूँ
- खत मेरी माँ का मुझको रुलाता रहा
- चार पैसे कमाने मैं आया शहर
- गाओं मेरा मुझे याद आता रहा
- बहुत बढ़िया पंक्तियाँ हैं राकेश जी | शुक्रिया मित्र |
- ***************************
- जब कभी प्यार करो तो मालूम हो कि दर्द कितना है
- जो शख्स मिलता भी नहीं और बुलाता भी नहीं, चुभता कितना है
- बैठे बैठे नम हो जाती हैं आँखे, इन्हें इंतज़ार है किसी का
- पूरा समंदर जिन्हें तौल ना पाया, उन दो बूंदों में प्यार कितना है
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- फिर कहीं दूर से, इक बार सदा दो मुझको
- मेरी तन्हाई का एहसास दिला दो मुझको
- तुम तो चाँद हो तुम्हे मेरी ज़रुरत क्या है
- मैं दिया हूँ, किसी चौखट पे जला दो मुझको
- ***************************
- बहुत बढ़िया पंक्तियाँ हैं राकेश जी | शुक्रिया मित्र |
- जी हाँ,माँ पर तो लिखी गयी हर रचना ही श्रेष्ठ है.
- ***************************
- उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो
- खर्च करने से पहले कमाया करो
- ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
- बारिशों में पतंगें उड़ाया करो
- दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर
- नीम की पत्तियों को चबाया करो
- शाम के बाद जब तुम सहर देख लो
- कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाया करो
- अपने सीने में दो गज़ ज़मीं बाँधकर
- आसमानों का ज़र्फ़ आज़माया करो
- चाँद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँ
- ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो
- ***************************
- पेड़ो के साथ साथ हिलता है सिर
- यह मौसम अब नहीं आयगा फिर
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- न खिजाँ में है कोई तीरगी, न बहार में कोई रौशनी,
- ये नजर-नजर के चराग हैं, कहीं जल गये, कहीं बुझ गये।
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- लहरों पै खेजता हुआ लहरा के पी गया
- साकी की हर निगाह पै बल खा के पी गया
- मैंने तो छोड़ दी थी पर रोने लगी शराब
- मैं उसके आसुंओं पै तरस खा के पी गया
- ***************************
- अन्दाज अपना देखते हैं आइने में वह
- और यह भी देखते हैं, कोई देखता नहीं
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- इश्क मुझसे नहीं दहशत ही सही,
- मेरी दिवानगी तेरी शोहरत ही सही,
- रिश्ते ना तोड ,रख कोई रिश्ता हमसे,
- कुछ नहीं है तो दुश्मनी ही सही।
- हम भी दुश्मन तो नहीं है अपने,
- गैर से तुमको मुहब्बत ही सही,
- हम कोई तर्के - वफा करते हैं,
- न सही इश्क, मुसीबत ही सही।
- अपनी हस्ती ही से हो जा कुछ हो,
- जान पहचान नहीं,नफ़रत ही सही,
- हम भी भुलने की आदत डालेंगे,
- भुलना तेरी आदत ही सही।
- ***************************
- उनको देखे से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक
- वह समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
- हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
- दिल को खुश रखने को 'शोना' ये ख्याल अच्छा है
- ***************************
- एक ऐसी भी हसी थी आज मैखाने में
- लुत्फ पीने में नहीं, बल्कि खो जाने में था
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- हसीनों से फकत साहब-सलामत दूर की अच्छी
- न उनकी दोस्ती अच्छी,न उनकी दुश्मनी अच्छी
- ***************************
- अब दुनिया की रीति यही है, किसकी मेहनत किसका फल,
- काटने वाले और ही होंगे, हम तो बोने वाले हैं
- ***************************
- जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नही देखा
- मैने कोई गुजरा हुआ मंज़र नही देखा
- पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहनेवाला
- मैं मोम हूँउसने मुझे छूकर नही देखा
- बेवक़्त अगर जाओंगा सब चोक पड़ेंगे
- एक उम्र हुई दिन में कभी घर नही देखा
- यह फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
- तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नही देखा
- ***************************
- दोस्तों,कहीं पर एक बहुत ही ह्रदयस्पर्शी कविता पढ़ी थी,
- वो यहाँ पेश कर रहा हूँ...
- रचनाकार का नाम मुझे पता नहीं है
- पर रचना शानदार है..
- ***************************
- इंसान और कुत्ता
- एक घर के सामने सडक बन रही थी,
- गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.
- मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
- उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.
- उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे,
- दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे.
- बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
- देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी.
- बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली,
- लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली.
- कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी,
- और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी!
- कुत्ते का ध्यान, नही रोटी की तरफ जरा था,
- शायद उसका पेट पूरा भरा था!
- ये देख कर बच्चा गया माँ के पास,
- भूखे मन मे रोटी की लिये आस.
- बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ?
- तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?
- माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया,
- बाद मे मन मे ये खयाल किया कि-
- कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
- मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा?
- माँ के मन मे खूब हुई कशमकश,
- लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस
- माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया,
- बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया.
- बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा,
- कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका!
- चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!!
- कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
- लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है....
- ***************************
- जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नही देखा
- मैने कोई गुजरा हुआ मंज़र नही देखा
- पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहनेवाला
- मैं मोम हूँउसने मुझे छूकर नही देखा
- बेवक़्त अगर जाओंगा सब चोक पड़ेंगे
- एक उम्र हुई दिन में कभी घर नही देखा
- यह फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
- तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नही देखा
- मून भाई चा गए आप तो इन दोनों से मेरा दिल छू लिया आपने
- दोस्तों,कहीं पर एक बहुत ही ह्रदयस्पर्शी कविता पढ़ी थी,
- वो यहाँ पेश कर रहा हूँ...
- रचनाकार का नाम मुझे पता नहीं है
- पर रचना शानदार है..
- इंसान और कुत्ता
- एक घर के सामने सडक बन रही थी,
- गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.
- मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
- उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.
- उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे,
- दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे.
- बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
- देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी.
- बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली,
- लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली.
- कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी,
- और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी!
- कुत्ते का ध्यान, नही रोटी की तरफ जरा था,
- शायद उसका पेट पूरा भरा था!
- ये देख कर बच्चा गया माँ के पास,
- भूखे मन मे रोटी की लिये आस.
- बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ?
- तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?
- माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया,
- बाद मे मन मे ये खयाल किया कि-
- कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
- मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा?
- माँ के मन मे खूब हुई कशमकश,
- लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस
- माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया,
- बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया.
- बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा,
- कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका!
- चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!!
- कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
- लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है…….
- ***************************
- चील सी हमपे रखे नज़र ,चिड़िया सी डांट लगाती है ।
- माँ की दुआ तो दूर दूर तक ,अपना असर दिखती है ।।
- ***************************
- तुम न आओगे तो मरने की हैं सौ तदबीरें,
- मौत कुछ तुम तो नहीं हो कि बुला भी न सकूँ।
- ***************************
- हटा कर तेरे सर से ताज साबित कर दिया हमने
- हमें अकड़ी हुयी गर्दन को कम करना भी आता है |
- -जौहर कानपुरी
- ***************************
- मेरे प्यार की वो इन्तहां पूछते हैं !
- दिल में है कितनी जगह पूछते हैं !
- चाहते हैं हम उनको खुद से ज्यादा !
- इस चाहत की भी वो वजह पूछते हैं !
- ***************************
- बर्बाद होने के और भी रास्ते थे ,
- न जाने क्यूँ मुझे मुहब्बत का ही ख्याल क्यूँ आया !
- ***************************
- फैसला जो भी कुछ हो मंजूर होना चाहिए
- इश्क हो या जंग भरपूर होना चाहिए |
- ***************************
- जो दाग दिल पे हो वो धोना बहुत जरूरी है
- तुम्हारी याद में रोना बहुत जरूरी है |
- -मौसम गोपालपूरी
- ***************************
- सूरज ज़रा सी देर को क्या हो गया गुरुब
- तारों ने हुक्मरानी का ऐलान कर दिया |
- -खालिद जाहिद
- ***************************
- ख्वाब में जब से तुम रोज़ आने लगे
- हम ग़ज़ल "मीर" की गुनगुनाने लगे |
- ***************************
- जिनके हाथों से तिरंगा न सम्भाला जाये
- ऐसे नेताओं को संसद से निकला जाये |
- ***************************
- मेरे यकीन की बुनियाद है मेरी निस्बत
- मेरे चिराग के आगे हवा भी हार गयी |
- ***************************
- मुझे मालूम है गुरबत अभी बनने नहीं देगी
- बना के रोज़ लेकिन घर का नक्शा देखता हूँ |
- ***************************
- मुश्किल अगर आन पड़ी तो घबराने से क्या होगा
- जीने की तरकीब निकालो मर जाने से क्या होगा |
- ***************************
- उरूज पर नसीब था तो छू रहा था आसमां
- बिगड गया नसीब तो जमीं से भी फिसल गया |
- ***************************
- शराफत के उसूलों से बगावत करने लगते हैं
- पढ़े लिखे भी महफ़िल में शरारत करने लगते हैं |
- ***************************
- उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
- जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है
- सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
- जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है
- ***************************
- मुझे मालूम है गुरबत अभी बनने नहीं देगी
- बना के रोज़ लेकिन घर का नक्शा देखता हूँ |
- ***************************
- दिल से तड़प रगों से हरारत चली गयी
- वरसे में जो मिली थी वो दौलत चली गयी |
- ***************************
- ख़ुशी छीनी है तो ग़म का भी ऐतमाद न कर
- जो रूह ग़म से भी उकता गई तो क्या होगा
- ***************************
- जख्म तलवार के गहरे भी हो तो मिट जाते हैं,
- लफ्ज तो दिल में उतर जाते हैं भालों की तरह।
- ***************************
- तुम्हारे शहर में लोग मैय्यत को भी कंधा नहीं देतेहमारे गाँव में सब छप्पर भी मिल कर उठाते हैं
- ***************************
- वो आते हैं तो दिल में एक खलिश सी होती है
- मैं डरती हूँ कि कहीं इसको मुहब्बत तो नहीं कहते |
- ***************************
- दिल से तड़प रगों से हरारत चली गयी
- वरसे में जो मिली थी वो दौलत चली गयी |
- -अनवर जलालपुरी
- वरसे.....??????
- ***************************
- वरसे.....??????
- वरसे= विरासत
- ***************************
- कोई कहता है खुदा है इश्क !
- कोई कहता है खता है इश्क !!
- किसी ने कहा की फनाह भी करता है इश्क !
- पर सोचो क्या होती ज़िन्दगी गर न होता इश्क !!
- ***************************
- तुम्हारे शहर में लोग मैय्यत को भी कंधा नहीं देतेहमारे
- गाँव में सब छप्पर भी मिल कर उठाते हैं
- क्या बात हे...................
- ***************************
- बहुत आसान है कहना
- मोहब्बत तुम से करते हैं.
- मगर, मतलब मोहबत का
- समझ लेना नही आसान
- ***************************
- क्या पता कोई ख़ाता हुई हमसे,
- या कोई और उनके ज़्यादा करीब हो गया
- ***************************
- वरसे= विरासत
- शुक्रिया............
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- इधर-उधर, यहाँ-वहाँ हैं बिजलियाँ ही बिजलियाँ
- चमन-चमन कहाँ फिरूँ मैं आशियाँ लिये हुए
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- कफस से छूटने पै शाद थे हम कि लज्जते-जिन्दगी मिलेगी
- यह क्या खबर थी कि बहारे-गुलशन लहू में डूबी हुई मिलेगी
- ***************************
- मैं सो रहा था किसी याद के शबिस्तान में
- जगा के छोड़ गए काफले शहर के मुझे...
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- रात को जीत तो सकता नहीं लेकिन यह चिराग
- कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है........
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- इश्क में खवाब का ख्याल किसे
- न लगी आँख जब से आँख लगी .......
- ***************************
- बिछड़ के मुझसे तुम अपनी कशिश न खो देना
- उदास रहने से चेहरा खराब होता है ........
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- अभी आया ही था मेरे लैब पे वफ़ा का नाम
- कुछ दोस्तों ने हाथ मैं पत्थर उठा लिए...
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- मुझे लगता है दिल खिंच कर चला आता है हाथों पर
- तुझे लिखूं तो मेरी उँगलियाँ ऐसे धड़कती हैं....
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- कभी कहता था मुझे कि, कोई दुआ हूँ मैं
- आज वो कह गया मुझको कि, बेवफा हूँ मैं
- वो जी न पाता था लम्हा कभी बगैर मेरे
- आज कहने लगा मुझको कि एक सज़ा हूँ मैं
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- ऐ मेरी तन्हाई, आ मुझे फिर से तनहा कर दे इस ग़मगीन तवील ज़िन्दगी को, एक लम्हा कर दे
- मैं तो सह लेती हूँ मगर दिल सिसक के रोता हैइसे दीदार-ए-यार करा अब, या मुझे अन्धा कर दे
- मेरा इन्तिज़ार कहता है कि तू नहीं आयेगा अब एक बार आ, और इस इन्तिज़ार को शर्मिन्दा कर दे
- टूटे दिल तो बहुत सी माशूकाओं को मयस्सर हैतू मुझे क़त्ल करके मेरे इश्क को उम्दा कर दे
- हर जुस्तजू को यहाँ कुछ न कुछ तो हासिल हैमौला नज़रे करम करके मुझे अपना बन्दा कर दे
- मुसाफिर तू चलते रह, यही तेरे लिए गनीमत हैवक्त न जाने कब, हालात को फांसी का फंदा कर दे
- तवील = लम्बी मयस्सर = मिली हुयी
- उम्दा = उच्चकोटि का जुस्तजू = खोज (तलाश)
- ग़नीमत = भाग्य से
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- अश्क है कीमती
- यु ना जाया करो
- बे -सबब बात को
- ना बढाया करो
- मुन्तजिर है फकत हम तो
- दीदार के
- चाह इतनी सी है
- यु ना सताया करो
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- चलो कुछ दिन के लिए दुनियाँ छोड देते है फराज़
- सुना है लोग बहुत याद करते है चले जाने के बाद |
- ***************************
- आसान नहीं इस दुनिया में, ख्वाबों के सहारे जी लेना,
- संगीन-हकीकत है दुनिया, यह कोई सुनहरी ख्वाब नहीं।
- ***************************
- राहों की जह्मतो का उन्हें क्या सबूत दूँ
- मंजिल मिली तो पावों में छाले नही रहे |
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- बस्ती में वो सन्नाटा, कि जंगल मात लगे
- शाम ढले भी घर पहुँचो, तो आधी रात लगे
- ख़त में दिल की बातें लिखना, अच्छी बात नहीं
- घर में इतने लोग हैं, जाने किसके हाथ लगे
- उनसे बिछड़े, दिल को उजड़े, बरसों बीत गए
- आँखों का ये हाल अभी तक कल की बात लगे
- मुठ्ठी बंद किये बैठी हूँ, कोई देख न ले
- कि चाँद पकड़ने घर निकली, जुगनू हाथ लगे
- ***************************
- कुछ और बढ़ाओ अब लो मशाल हिम्मत की
- मंजिल के करीब आकर बढ़ती है थकन यारों
- ***************************
- क्यों किसी रहबर से पुछूं अपनी मंजिल का पता
- मौजे-दरिया खुद लगा लेती है साहिल का पता
- ***************************
- खुद यकीं होता नहीं जिनको अपनी मंजिल का
- उनको राह के पत्थर कभी रास्ता नहीं देते
- ***************************
- चलने को चल रहा हूँ मगर इसकी खबर नहीं,
- मैं हूँ सफर में या मेरी मंजिल सफर में है
- ***************************
- न मिला सुरागे-मंजिल कहीं उम्र भी किसी को,
- नजर आ गई है मंजिल कहीं दो कदम ही चल के।
- ***************************
- यह शहर अगर शहर है तो सुनसान सा क्यों है
- इस शहर का हर शख्स परेशान सा क्यों है
- इस शहर के लोग जिसे कहते हैं मसीहा
- वो शख्स मेरे दर्द से अनजान सा क्यों है
- मिट्टी का बना है तो घुल क्यों नहीं जाता
- पत्थर का सनम है तो इंसान सा क्यों है
- ***************************
- घर से यह सोच के निकली कि मर जाना है
- अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है
- जिस्म से साथ निभाने की मत उम्मीद रखो
- इस मुसाफिर को तो रस्ते में हे ठहर जाना है
- ***************************
- *मजबूर ये हालात इधर भी हैं उधर भी हैं
- तन्हाई की एक रात इधर भी है उधर भी है
- कहने को बहुत कुछ है मगर किस से कहें हम
- कब तक युहीं दबते यूंही सहते रहे हैं
- दिल कहता है दुनिया की हर रस्म उठा दें
- दीवार हो हम दोनों में है आज गिरा दें
- अब दिल में यही बात इधर भी है उधर भी है
- ***************************
- हम तेरी धुन में जिया करते थे
- मन में ही चुपचाप हँसा करते थे
- आँखों में प्यास हुआ करती थी
- दिल में तूफ़ान उठा करते थे
- सच समझते थे तेरी मुहब्बत को
- दिल में क्या फूल खिला करते थे
- घर की दीवार सजाने की खातिर
- हम तेरा नाम लिखा करते थे
- कल तुझे देख कर याद आया
- हम भी कभी मुहब्बत किया करते थे
- ***************************
- उदास मुस्कुराहटों के पीछे गम के रेले हैं
- अब तुम्हे क्या बताएं कि तुम बिन कितने अकेले हैं
- ***************************
- ये अक़्ल वाले नहीं अहल-ए-दिल समझते हैं
- कि क्यों शराब से पहले वुज़ू ज़रूरी है।
- ***************************
- जहाँ तक मुझे ध्यान है ,
- नमाज से पहले हाथ धोए जाते है जिसे ही वुजू कहते है ,
- यदि इसमें कोई त्रुरी हो तो पाठ जी , जरा सा .....
- ***************************
- हो जाती है सियाही बेहद हर और ,
- रुख पे यूँ पर्दा किया न कीजिये ......................
- ***************************
- जहाँ तक मुझे ध्यान है ,
- नमाज से पहले हाथ धोए जाते है जिसे ही वुजू कहते है ,
- यदि इसमें कोई त्रुरी हो तो पाठ जी , जरा सा ....
- प्रिय मनोज जी आपने ठीक कहा परन्तु इस प्रक्रिया में हाथ धोने के अतिरिक्त मुंह धोना ,
- पाँव धोना नाक में पानी डालना ,
- कुल्ली करना एवं सर तथा गर्दन पर गीला हाथ फेरना भी सम्मिलित होते हैं |
- ***************************
- पजमुर्दा होके फूल गिरा शाख से तो क्या,
- वह मौत है हसीन, आए जो, शबाब में।
- ***************************
- मौत उसकी, करे जिसका जमाना अफसोस,
- यूं तो दुनिया में सभी आते, हैं मरने के लिए।
- ***************************
- प्रिय मनोज जी आपने ठीक कहा परन्तु इस
- प्रक्रिया में हाथ धोने के अतिरिक्त मुंह धोना ,
- पाँव धोना नाक में पानी डालना ,
- कुल्ली करना एवं सर तथा गर्दन पर गीला हाथ फेरना भी सम्मिलित होते हैं |
- हम भी कर लेंगे पिने से पहले वुजू......
- पीने के बाद होश रहे ना रहे
- बेडू.......
- ***************************
- हम भी कर लेंगे पिने से पहले वुजू......
- पीने के बाद होश रहे ना रहे
- बेडू.......
- अगर पी लें तो उड़ती है सितारों से भी कुछ आगे,
- वगरना जिन्दगी जेरे-जमीं मालूम होती है।
- अजय........आदाब
- जेरे-जमीं - जमीन के नीचे
- ***************************
- प्रिय मनोज जी आपने ठीक कहा परन्तु इस प्रक्रिया में हाथ धोने के अतिरिक्त मुंह धोना ,
- पाँव धोना नाक में पानी डालना ,
- कुल्ली करना एवं सर तथा गर्दन पर गीला हाथ फेरना भी सम्मिलित होते हैं |
- ***************************
- हम भी कर लेंगे पिने से पहले वुजू......
- पीने के बाद होश रहे ना रहे
- बेडू.......
- वुजू सारो जग करे है , कर न कोई मन न निष्काम |
- दारू पीवे , सो साँच बोलह है , दारू बेवजह बदनाम |
- कबीर जी लिखना भूल गए थे तो मेने लिखा |
- ***************************
- जिस दिन से चला हूँ , कभी मुड कर नही देखा |
- मेने कोई गुजरा हुआ मंजर नही देखा ||
- पत्थर मुझे कहते है मेरे चाहने वाले |
- मैं मोम हूँ , उसने मुझे छु कर नही देखा ||
- ***************************
- बातों बातों में बिछड़ने का इशारा करके
- खुद भी रोया वो बहुत हमसे किनारा करके
- सोचती रहती हूँ तन्हाई में अंजामे-ए-ख़ुलूस
- फिर उसी जुर्म-ए-मोहब्बत को दुबारा करके
- जगमगा दी है तेरे शहर की गलियाँ मैंने
- अपने अश्कों को पलकों पे सितारा करके
- देख लेते हैं चलो हौसला अपने दिल का
- और कुछ रोज़ तेरे साथ गुज़ारा करके
- ***************************
- जिन्दगी की दराज पलकों पर, रास्ते का गुबार छाया है
- आबे-कौसर से आंख धो ले, मैकदा फिर करीब आया है
- ***************************
- ये कैसे ख्वाब से जागी है आँखें
- किसी मंजर पे दिल ठहरता ही नहीं |
- ***************************
- मुझे हर खाक के जर्रे पर यह लिक्खा नजर आया,
- मुसाफिर हूँ अदम का और फना है कारवाँ मेरा।
- ***************************
- ये ठीक है कोई मरता नहीं जुदाई से
- खुदा किसी को मगर किसी से जुदा न करे |
- ***************************
- तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली शराब खानो की
- तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहा जाते।
- ***************************
- नतीजा बेवजय महफिल से उठवाने का क्या होगा,
- न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।
- ***************************
- पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
- डगमगाना भी जरूरी है संभलने के लिए।
- ***************************
- छत के सीने का ये नासूर ये हंसती हुयी धूप
- जैसे नामूस के दिल में किसी तोहमत की खराश
- ये हवादिश की हवाएं ये खराबा मेरा
- जैसे तूफ़ान की मौजूं पे किसी नाव की लाश
- ***************************
- पाँव गिर्दाब की जानिब हैं कि साहिल की तरफ
- कोई बतलाये तो जाने कि कहाँ हैं हम लोग
- दिल में जीने की तमन्ना है ना मरने की तड़प
- एक ठहरी हुयी मंजिल में जहाँ हैं हम लोग
- ***************************
- चाँद तारों से फिजाओं की मुलाक़ात नहीं
- इस अँधेरे में भी रह लेते हैं रहने वाले
- ना ठहरने का ठिकाना ना सँवरने की जगह
- ज़िन्दगी इस को भी कह लेते हैं कहने वाले
- ***************************
- टूट जाता है शबिस्तां की तमन्ना का तिलिस्म
- हुस्न उजड़े हुए आगोश में खो जाता है
- कहकशां आँख से बह जाती है आंसू बन कर
- चाँद कुम्भला के सरे ख़ाक ही सो जाता है
- ***************************
- थरथराता हुआ अहसास के गम खाने मे
- नरगिसी आँखों का मासूम सा शिकवा दिन रात
- जीस्त के साथ रहा करता है साए की तरह
- चाँद उतरे हुए चेहरों का तकाजा दिन रात
- ***************************
- शाम होती है तो रोती हैं निंदासी आँखें
- लोरियां रूठ गयीं प्यार भरी बात गयी
- सुबह आती है तो कहती हैं निगाहें उठ कर
- किस लिए दिन का उजाला हुआ क्यूं रात गयी
- ***************************
- रोशनी लाये जो कोई तो कहाँ से लायें
- शामे गम भूल गयी सुबहे खुशी का रास्ता
- खोयी खोयी सी निगायों में चमक है फिर भी
- अब भी ताकता है कोई जैसे किसी का रास्ता
- ***************************
- ये भी एक जीस्त का अंदाज़े सफ़र है ऐ दोस्त
- पाँव काँटों में हैं, तारों पे नज़र है दोस्त
- ***************************
- देती है सुकूं रूह को काँटों की चुभन भी
- खुशबू से कभी होती है सीने में जलन भी
- ***************************
- रोशनी लाये जो कोई तो कहाँ से लायें
- शामे गम भूल गयी सुबहे खुशी का रास्ता
- खोयी खोयी सी निगायों में चमक है फिर भी
- अब भी ताकता है कोई जैसे किसी का रास्ता
- ***************************
- नाखुदा से क्या पूछें ,नाखुदा को क्या मालूम
- डूबते सफीनो को पानियों ने देखा है |
- नाखुदा- नाविक
- ***************************
- ये किस मकाम पे सूझी तुझे बिछड़ने की
- के अब तो जाके दिन कहीं संवरने वाले थे |
- ***************************
- न हारा है इश्क न दुनिया थकी है
- दिया जल रहा है ,हवा चल रही है |
- ***************************
- खुद यकीं होता नहीं जिनको अपनी मंजिल का
- उनको राह के पत्थर कभी रास्ता नहीं देते।
- ***************************
- एक शख्स जो रहता है दिल में मेरी धड़कन की तरह
- वो पूछता है मुझसे के तू मुझे इतना चाहता क्यूँ है |
- ***************************
- चलने को चल रहा हूँ मगर इसकी खबर नहीं,
- मैं हूँ सफर में या मेरी मंजिल सफर में है
- ***************************
- यारों खता माफ मेरी मैं नशे में हूँ
- सागर में मय है, मय में नशा है,ओर मैं नशे में हूँ।
- ***************************
- वाह, वाह वाह ... बहुत खूब
- ***************************
- क्यों करते हो ........... दिल पे इतना सितम ,
- याद करते नही तो याद आते क्यों हो ???.
- ***************************
- बताओ कैसे तुम्हे भुलाऊ ..
- के तुम तो वाकिफ़ हो इस हुनर से ||
- ***************************
- रिन्दाने-जहां से ये नफरत, ऐ हजरते-वाइज क्या कहना,
- अल्लाह के आगे बस न चला, बंदों से बगावत कर बैठे।
- ***************************
- आग को खेल पतंगे ने समझ रखा है ,
- सबको अंजाम का डर हो , यह जरूरी तो नही |
- ***************************
- मोहब्बत कब हो जाए किसे पता ....
- हादसे पूछ के नही हुआ करते ...............
- ***************************
- इश्क ने सीख ही ली वक्त की तकसीम के अब ...
- वो मुझे याद तो आता है मगर काम के बाद |
- ***************************
- ये फूल क्या मुझको विरासत में मिले हैं
- तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा |
- ***************************
- ये दिन की रोशनियाँ तुम्हे मुबारक हों
- हमे अँधेरे रास आने लगे हैं |
- ***************************
- मैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसे
- सुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी वो सब जला लेगा
- हज़ार तोड़ के आ जाऊं उस से रिश्ता "वसीम"
- मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
- ***************************
- इससे से पहले की मेरे दिल में, फिर से टीस उठे,
- गर हो सके तो मेरे खुदा,मेरे गम को कम कर दे,
- ये हकीक़त है,बहुत चाहती है वो मुझको,
- गर हो सके तो, इस हकीक़त को अब भरम कर दे,
- आजकल ज़िन्दगी की मै दुआए, मागने लगा हु बहुत,
- गर हो सके तो,दुआयों का असर कम कर दे.
- ***************************
- पत्थर सुलग रहे थे,
- नक़्शे पाँव ना था,
- जिस तरफ हम चले थे,
- कोई रास्ता ना था.
- ***************************
- जिन के होठो पे हँसी, पाँव मे छाले होंगे,
- हाँ वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे.
- ***************************
- जुज़ तेरे कोई भी दिन रात ना जाने मेरे
- तू कहाँ हे मगर ए दोस्त पुराने मेरे
- शमा की लौ थी की वो तू था , मगर हिज्र की रात
- देर तक रोता रहा कोई सिरहाने मेरे
- आज एक ओर बरस बीत गया उसके बगेर
- जिसके होते हुए होते थे ज़माने मेरे
- ***************************
- मै बंद मुठ्टी करता हूँ ,
- उसे थाम लेने की हसरतो से |
- वो रेत सी फिसलती जाती है
- बंद हाथो की उन चंद लकीरों से ||
- जिसे चाहा हसरतो से ,
- "साजिद " वो अब बेगाना हुआ |
- वो शक्स बसता है मेरी निगाहों में ,
- जो है तो हमारा पर हमारा न हुआ |
- ***************************
- तू कहाँ है तुझसे इक निस्बत थी मेरी ज़ात को
- कब से पलकों पर उठाए फिर रहा हूँ रात को
- मेरे हिस्से की ज़मीं बंजर थी मैं वाकिफ न था
- बे सबब इलज़ाम मैं देता रहा बरसात को
- ***************************
- हर वक़्त मेरी खोज में रहती है तेरी याद..
- तुने मेरे वजूद की तन्हाई भी छीन ली...
- ***************************
- सलीके से जिन्हें एक घूंट भी पीना नहीं आता,
- वह इतने हैं कि सारे मैकदे में छाए बैठे हैं।
- ***************************
- ख्वाहिशो की भी कोई हद हुआ करती है यारो..
- केसी ख्वाहिश की मुठी में समंदर हो...
- ***************************
- दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे
- फिर भी उस ज़ालिम पे मरना अपनी फितरत है तो है |
- ***************************
- कब कहा मैंने के वो मिल जाए मुझको ,
- गैर न हो जाए वो बस इतनी हसरत है तो है
- ***************************
- दूर थे और दूर है हर दम जमीन ओ आसमां ,
- दूरियों के बाद भी दोनों में कुरबत है तो है
- ***************************
- जल गया परवाना तो शमा की इसमें क्या खता ,
- रात भर जलना जलाना उसकी किस्मत है तो है |
- ***************************
- दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे
- फिर भी उस ज़ालिम पे मरना अपनी फितरत है तो है |
- वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है,
- यह अगर रस्म -ओ रिवाजों से बगावत है तो है..!
- ***************************
- कब कहा मैंने के वो मिल जाए मुझको ,
- गैर न हो जाए वो बस इतनी हसरत है तो है
- सच को मैंने सच कहा जब कह दिया तो कह दिया ,
- अब ज़माने की नज़र में ये हिमाकत है तो है..!
- ***************************
- जल गया परवाना तो शमा की इसमें क्या खता ,
- रात भर जलना जलाना उसकी किस्मत है तो है |
- खास आप के लिए
- वो साथ है तो जिंदा हूँ,
- मेरी सांसों को उसकी ज़रुरत है तो है …..!
- ***************************
- की तेरी आँखों में नमी सी क्यूँ है?
- जिसकी चाहत में खुद को भुला बैठे,
- उसकी चाहत में कमी सी क्यूँ है?
- ***************************
- वो मौसम,वो बहार,उसके सामने कम थी.
- साथ गुजरा हुआ वक़्त ,वो फिजा कम थी.
- दूर तो होना ही था जालिम,
- क्या करें,
- इन हाथों में साथ रहने की लकीरें ही कम थी......
- ***************************
- ज़िन्दगी ज़ख्मो से भरी है,
- वक़्त का मरहम लगाना सीख लो.
- हारना तो मौत के सम्मने है ही,
- फिलहाल ज़िन्दगी से जीतना सीख लो...
- ***************************
- आँखों से आंसुओं को उभरने ना दिया ,
- मिटटी के मोतियों को बिखरने ना दिया .
- जिस राह पर पड़े थे तेरे क़दमों के निशाँ ,
- उस राह से किसी को गुजरने ना दिया....
- ***************************
- हमे आंसू से ज़ख्मों को धोना नहीं आता,
- मिलती है ख़ुशी तो उसे खोना नहीं आता.
- सह लेते हैं हर गम हँसके...
- लोग कहते हैं हमे रोना नहीं आता...
- ***************************
- हम कहीं भी हों बना लेंगे जगह अपने लिए,
- हमको आता है हुनर दिल में उतर जाने का।
- ***************************
- हुस्ने-सीरत पर नजर कर, हुस्ने-सूरत को न देख,
- आदमी है नाम का गर, खू नहीं इन्सान की।
- सीरत - स्वभाव, प्रकृति, आदत .....खू -स्वभाव, आदत
- ***************************
- अरे. वाह ये तो बहुत अच्छी जगह है..
- ***************************
- यहाँ लिबास की कीमत है, आदमी की नहीं
- मुझे बड़े गिलास दे साकी, शराब कम कर दे
- ***************************
- बज़्म-ए-वफ़ा में हमारी गरीबी न पूछ "ग़ालिब"
- एक दर्द-ए-दिल है वो भी किसी का दिया हुआ
- ***************************
- मैं तमाम तारे उठा-उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ
- कभी एक रात वो आस्माँ का निज़ाम दें मेरे हाथ में
- ***************************
- गर्दिश-ए-दौराँ का शिकवा था मगर इतना न था
- तुम न थे तब भी मैं तनहा था मगर इतना न था।
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- उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
- न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये
- बशीर बद्र
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- ऐ अजल, तुझसे यह कैसी नादानी हुई,
- फूल वो तोड़ा, चमन भर में वीरानी हुई।
- ***************************
- मुझसे मत जी को लगाओ कि नहीं रहने का
- मैं मुसाफिर हूँ कोई दिन को चला जाऊँगा
- मुहम्मद मीर सोज़
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- शायद प्यार में नहीं था दोस्ती सा दम..
- शायद इस लिए दोस्त साथ निभाता रहा
- मुझे पता ना चला क्या ज्यादा था या कम
- मगर प्यार तो रास्ते भर रुलाता रहा...
- ***************************
- मोहब्बतों की सजा बे-मिसाल दी उसने
- उदास रहने की आदत सी डाल दी उसने
- मैंने जब भी अपना बनाना चाहा उसको
- बातों बातों में बात टाल दी उसने.....
- ***************************
- क्या आ गया खयाल दिले - बेकरार में,
- खुद आशियाँ को आग लगा दी बहार में।
- ***************************
- किसी ख़ुशी की भला अब मुझे ख़ुशी क्यों हो,
- तुम्हारे ग़म से जो खुद को उदास रखता हु,,
- मैं अपने दर्द कहाँ बाँटता फिरूँ मोहसिन,
- के मैं अपनी चीजें फक़त अपने पास रखता हूँ,,
- ***************************
- वो मेरे लिए कुछ खाश हैं यारों !
- जिसके लौट आने की आस हैं यारों !!
- वो नज़रों से दूर हैं तो क्या हुवा !
- उनके दिल की धड़कन आज भी मेरे पास हैं यारों !!
- ***************************
- ये भी क्या एहसान कम हैं देखिये न आप का
- हो रहा है हर तरफ़ चर्चा हमारा आप का
- चाँद में तो दाग़ है पर आप में वो भी नहीं
- चौधवी के चाँद से बड़कर है चेहर आप का
- ***************************
- "जब तलक जीना है ,दोस्तों मुस्कुराते ही रहो
- क्या ख़बर हिस्से में ,अब कितनी बची है जिन्दगी"
- ***************************
- न कत्ल करते हैं, न जीने की दुआ देते हैं,
- लोग किस जुर्म की आखिर ये सज़ा देते है ।
- ***************************
- मेरी हर मांगी हुई दुआ बेकार गयी फ़राज़
- जाने किस शक्स ने चाहा था इतनी शिद्दत से उसे
- --अहमद फ़राज़
- ***************************
- लगाए जाओ लगाए जाओ कापी पेस्ट कर के लगाए जाओ .......
- सब के सब नकलची की तरह पेस्ट करे जाओ
- ***************************
- लगाए जाओ लगाए जाओ कापी पेस्ट कर के लगाए जाओ .......
- सब के सब नकलची की तरह पेस्ट करे जाओ
- मित्र आप भी करे आप को किसी ने मन किया है क्या ?
- ***************************
- हम ने चाहा भी तो इज़हार करना ना आया,
- कट गयी उम्र सारी पर हमे प्यार करना ना आया.
- उस ने मांगी भी तो जुदाई मांगी
- और हमे इनकार करना ना आया....
- ***************************
- और इसी के साथ इस सूत्र के 300 प्रष्ट पूरे होने पर आप सब दोस्तों को बहुत बहुत बधाई,
- जिन्होंने इस सूत्र में इतने चुनिन्दा शेर संकलित कर दिए है जो एक से बढ़ कर एक हैं.
- ***************************
- आज खुशियों की कोई बधाई देगा
- निकला है चाँद तो दिखाई भी देगा
- ऐ मुहब्बत करने वाले! ध्यान रख
- एक आँसू भी गिरा तो सुनायी देगा
- ***************************
- कोई आँखों से बात कर लेता है
- कोई आँखों से मुलाक़ात कर लेता है.
- बड़ा मुश्किल होता है जवाब देना,
- जब कोई खामोश रह कर सवाल कर देता है.
- ***************************
- और इसी के साथ इस सूत्र के 300 प्रष्ट पूरे होने पर आप सब दोस्तों को बहुत बहुत बधाई,
- जिन्होंने इस सूत्र में इतने चुनिन्दा शेर संकलित कर दिए है जो एक से बढ़ कर एक हैं.
- ***************************
- आप को भी ढेर सारी शुभकामनाये...
- ये शेर खास आप के लिए
- बहुत ही सादा है तू और ज़माना अय्यार
- खुदा करे तुझे इस शहर की हवा न लगे...
- ***************************
- ग़म बाटने की चीज़ नही फिर भी दोस्तों
- एक दुसरे के हाल से वाकिफ रहा करो.....!
- ***************************
- मेरा हम सफ़र जो अजीब है.तो अजीब हूँ में भी
- मुझे मंजिलों की खबर नहीं .उसे रास्तों का पता नहीं...
- ***************************
- तू भी कभी महसूस कर क्या है बिखरने की तड़प
- एक रोज़ बाज़ी यूँ सजे, शीशा तेरा पत्थर मेरा ...
- ***************************
- वो उकताया सा रहता है हमारी वफाओं से "मोहसिन "
- उसे कहना हमें दिखावे की दोस्ती अच्छी नही लगती |
- ***************************
- ये जरूरी नही के जिस को चाहा जाय वोह मुकद्दर में हो मोहसिन
- जरूरी तो यह है के इतना टूट के चाहो के तकदीर बदल जाए |
- ***************************
- कश्ती भी न बदली, दरिया भी न बदला,
- हम डूबने वालो का जज्बा भी न बदला,
- है शौक ए सफर कुछ यूं की इक उम्र से,
- हमने मंजिल भी न पाई, रस्ता भी न बदला
- ***************************
- इश्क के गमों का कोई हिसाब नहीं
- ये आग का दरिया है कोई सैलाब नहीं
- सच कहते हैं लोग, आशिक तड़प तड़प के मर जाते हैं
- क्योंकि इश्क के रोग का कोई इलाज नहींपेड़ो के साथ साथ हिलता है सिर
- यह मौसम अब नहीं आयगा फिर
- ***************************
- न खिजाँ में है कोई तीरगी, न बहार में कोई रौशनी,
- ये नजर-नजर के चराग हैं, कहीं जल गये, कहीं बुझ गये।
- -'शायर' लखनवी
- खिजाँ - पतझड़ की ऋत .... तीरगी - अंधेरा, अंधकार
- ajaythegoodguy
- 26-04-2012, 11:59 PM
- लहरों पै खेजता हुआ लहरा के पी गया
- साकी की हर निगाह पै बल खा के पी गया
- मैंने तो छोड़ दी थी पर रोने लगी शराब
- मैं उसके आसुंओं पै तरस खा के पी गया
- ***************************
- अन्दाज अपना देखते हैं आइने में वह
- और यह भी देखते हैं, कोई देखता नहीं
- ***************************
- इश्क मुझसे नहीं दहशत ही सही,
- मेरी दिवानगी तेरी शोहरत ही सही,
- रिश्ते ना तोड ,रख कोई रिश्ता हमसे,
- कुछ नहीं है तो दुश्मनी ही सही।
- हम भी दुश्मन तो नहीं है अपने,
- गैर से तुमको मुहब्बत ही सही,
- हम कोई तर्के - वफा करते हैं,
- न सही इश्क, मुसीबत ही सही।
- अपनी हस्ती ही से हो जा कुछ हो,
- जान पहचान नहीं,नफ़रत ही सही,
- हम भी भुलने की आदत डालेंगे,
- भुलना तेरी आदत ही सही।
- ***************************
- उनको देखे से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक
- वह समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
- हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
- दिल को खुश रखने को 'शोना' ये ख्याल अच्छा है
- ***************************
- एक ऐसी भी हसी थी आज मैखाने में
- लुत्फ पीने में नहीं, बल्कि खो जाने में था
- ***************************
- हसीनों से फकत साहब-सलामत दूर की अच्छी
- न उनकी दोस्ती अच्छी,न उनकी दुश्मनी अच्छी
- ***************************
- अब दुनिया की रीति यही है, किसकी मेहनत किसका फल,
- काटने वाले और ही होंगे, हम तो बोने वाले हैं
- ***************************
- जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नही देखा
- मैने कोई गुजरा हुआ मंज़र नही देखा
- पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहनेवाला
- मैं मोम हूँउसने मुझे छूकर नही देखा
- बेवक़्त अगर जाओंगा सब चोक पड़ेंगे
- एक उम्र हुई दिन में कभी घर नही देखा
- यह फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
- तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नही देखा
- ***************************
- दोस्तों,कहीं पर एक बहुत ही ह्रदयस्पर्शी कविता पढ़ी थी,
- वो यहाँ पेश कर रहा हूँ...
- रचनाकार का नाम मुझे पता नहीं है
- पर रचना शानदार है..
- इंसान और कुत्ता
- एक घर के सामने सडक बन रही थी,
- गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.
- मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
- उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.
- उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे,
- दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे.
- बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
- देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी.
- बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली,
- लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली.
- कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी,
- और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी!
- कुत्ते का ध्यान, नही रोटी की तरफ जरा था,
- शायद उसका पेट पूरा भरा था!
- ये देख कर बच्चा गया माँ के पास,
- भूखे मन मे रोटी की लिये आस.
- बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ?
- तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?
- माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया,
- बाद मे मन मे ये खयाल किया कि-
- कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
- मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा?
- माँ के मन मे खूब हुई कशमकश,
- लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस
- माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया,
- बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया.
- बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा,
- कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका!
- चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!!
- कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
- लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है…….
- ***************************
- जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नही देखा
- मैने कोई गुजरा हुआ मंज़र नही देखा
- पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहनेवाला
- मैं मोम हूँउसने मुझे छूकर नही देखा
- बेवक़्त अगर जाओंगा सब चोक पड़ेंगे
- एक उम्र हुई दिन में कभी घर नही देखा
- यह फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
- तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नही देखा
- मून भाई चा गए आप तो इन दोनों से मेरा दिल छू लिया आपने
- दोस्तों,कहीं पर एक बहुत ही ह्रदयस्पर्शी कविता पढ़ी थी,
- वो यहाँ पेश कर रहा हूँ...
- रचनाकार का नाम मुझे पता नहीं है
- पर रचना शानदार है..
- इंसान और कुत्ता
- एक घर के सामने सडक बन रही थी,
- गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.
- मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
- उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.
- उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे,
- दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे.
- बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
- देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी.
- बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली,
- लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली.
- कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी,
- और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी!
- कुत्ते का ध्यान, नही रोटी की तरफ जरा था,
- शायद उसका पेट पूरा भरा था!
- ये देख कर बच्चा गया माँ के पास,
- भूखे मन मे रोटी की लिये आस.
- बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ?
- तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?
- माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया,
- बाद मे मन मे ये खयाल किया कि-
- कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
- मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा?
- माँ के मन मे खूब हुई कशमकश,
- लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस
- माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया,
- बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया.
- बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा,
- कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका!
- चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!!
- कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
- लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है…….
- ***************************
- चील सी हमपे रखे नज़र ,चिड़िया सी डांट लगाती है ।
- माँ की दुआ तो दूर दूर तक ,अपना असर दिखती है ।।
- ***************************
- तुम न आओगे तो मरने की हैं सौ तदबीरें,
- मौत कुछ तुम तो नहीं हो कि बुला भी न सकूँ।
- ***************************
- हटा कर तेरे सर से ताज साबित कर दिया हमने
- हमें अकड़ी हुयी गर्दन को कम करना भी आता है |
- ***************************
- मेरे प्यार की वो इन्तहां पूछते हैं !
- दिल में है कितनी जगह पूछते हैं !
- चाहते हैं हम उनको खुद से ज्यादा !
- इस चाहत की भी वो वजह पूछते हैं !
- ***************************
- बर्बाद होने के और भी रास्ते थे ,
- न जाने क्यूँ मुझे मुहब्बत का ही ख्याल क्यूँ आया !
- ***************************
- फैसला जो भी कुछ हो मंजूर होना चाहिए
- इश्क हो या जंग भरपूर होना चाहिए |
- ***************************
- जो दाग दिल पे हो वो धोना बहुत जरूरी है
- तुम्हारी याद में रोना बहुत जरूरी है |
- ***************************
- सूरज ज़रा सी देर को क्या हो गया गुरुब
- तारों ने हुक्मरानी का ऐलान कर दिया |
- -खालिद जाहिद
- ***************************
- ख्वाब में जब से तुम रोज़ आने लगे
- हम ग़ज़ल "मीर" की गुनगुनाने लगे |
- ***************************
- जिनके हाथों से तिरंगा न सम्भाला जाये
- ऐसे नेताओं को संसद से निकला जाये |
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- मेरे यकीन की बुनियाद है मेरी निस्बत
- मेरे चिराग के आगे हवा भी हार गयी |
- ***************************
- मुझे मालूम है गुरबत अभी बनने नहीं देगी
- बना के रोज़ लेकिन घर का नक्शा देखता हूँ |
- ***************************
- मुश्किल अगर आन पड़ी तो घबराने से क्या होगा
- जीने की तरकीब निकालो मर जाने से क्या होगा |
- ***************************
- उरूज पर नसीब था तो छू रहा था आसमां
- बिगड गया नसीब तो जमीं से भी फिसल गया |
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- शराफत के उसूलों से बगावत करने लगते हैं
- पढ़े लिखे भी महफ़िल में शरारत करने लगते हैं |
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- उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
- जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है
- सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
- जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है
- ***************************
- मुझे मालूम है गुरबत अभी बनने नहीं देगी
- बना के रोज़ लेकिन घर का नक्शा देखता हूँ |
- ***************************
- दिल से तड़प रगों से हरारत चली गयी
- वरसे में जो मिली थी वो दौलत चली गयी |
- ***************************
- ख़ुशी छीनी है तो ग़म का भी ऐतमाद न कर
- जो रूह ग़म से भी उकता गई तो क्या होगा
- ***************************
- जख्म तलवार के गहरे भी हो तो मिट जाते हैं,
- लफ्ज तो दिल में उतर जाते हैं भालों की तरह।
- ***************************
- तुम्हारे शहर में लोग मैय्यत को भी कंधा नहीं देतेहमारे गाँव में सब छप्पर भी मिल कर उठाते हैं
- ***************************
- वो आते हैं तो दिल में एक खलिश सी होती है
- मैं डरती हूँ कि कहीं इसको मुहब्बत तो नहीं कहते |
- ***************************
- दिल से तड़प रगों से हरारत चली गयी
- वरसे में जो मिली थी वो दौलत चली गयी |
- -अनवर जलालपुरी
- वरसे.....??????
- ***************************
- वरसे.....??????
- वरसे= विरासत
- ***************************
- कोई कहता है खुदा है इश्क !
- कोई कहता है खता है इश्क !!
- किसी ने कहा की फनाह भी करता है इश्क !
- पर सोचो क्या होती ज़िन्दगी गर न होता इश्क !!
- ***************************
- तुम्हारे शहर में लोग मैय्यत को भी कंधा नहीं देतेहमारे गाँव में सब छप्पर भी मिल कर उठाते हैं
- क्या बात हे...................
- ***************************
- बहुत आसान है कहना
- मोहब्बत तुम से करते हैं.
- मगर, मतलब मोहबत का
- समझ लेना नही आसान
- ***************************
- क्या पता कोई ख़ाता हुई हमसे,
- या कोई और उनके ज़्यादा करीब हो गया
- ***************************
- इधर-उधर, यहाँ-वहाँ हैं बिजलियाँ ही बिजलियाँ
- चमन-चमन कहाँ फिरूँ मैं आशियाँ लिये हुए
- ***************************
- कफस से छूटने पै शाद थे हम कि लज्जते-जिन्दगी मिलेगी
- यह क्या खबर थी कि बहारे-गुलशन लहू में डूबी हुई मिलेगी
- ***************************
- मैं सो रहा था किसी याद के शबिस्तान में
- जगा के छोड़ गए काफले शहर के मुझे...
- ***************************
- रात को जीत तो सकता नहीं लेकिन यह चिराग
- कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है........
- ***************************
- इश्क में खवाब का ख्याल किसे
- न लगी आँख जब से आँख लगी .......
- ***************************
- बिछड़ के मुझसे तुम अपनी कशिश न खो देना
- उदास रहने से चेहरा खराब होता है ........
- ***************************
- अभी आया ही था मेरे लैब पे वफ़ा का नाम
- कुछ दोस्तों ने हाथ मैं पत्थर उठा लिए...
- ***************************
- मुझे लगता है दिल खिंच कर चला आता है हाथों पर
- तुझे लिखूं तो मेरी उँगलियाँ ऐसे धड़कती हैं....
- ***************************
- कभी कहता था मुझे कि, कोई दुआ हूँ मैं
- आज वो कह गया मुझको कि, बेवफा हूँ मैं
- वो जी न पाता था लम्हा कभी बगैर मेरे
- आज कहने लगा मुझको कि एक सज़ा हूँ मैं
- ***************************
- ऐ मेरी तन्हाई, आ मुझे फिर से तनहा कर दे इस ग़मगीन तवील ज़िन्दगी को, एक लम्हा कर दे
- मैं तो सह लेती हूँ मगर दिल सिसक के रोता हैइसे दीदार-ए-यार करा अब, या मुझे अन्धा कर दे
- मेरा इन्तिज़ार कहता है कि तू नहीं आयेगा अब एक बार आ, और इस इन्तिज़ार को शर्मिन्दा कर दे
- टूटे दिल तो बहुत सी माशूकाओं को मयस्सर हैतू मुझे क़त्ल करके मेरे इश्क को उम्दा कर दे
- हर जुस्तजू को यहाँ कुछ न कुछ तो हासिल हैमौला नज़रे करम करके मुझे अपना बन्दा कर दे
- मुसाफिर तू चलते रह, यही तेरे लिए गनीमत हैवक्त न जाने कब, हालात को फांसी का फंदा कर दे
- तवील = लम्बी मयस्सर = मिली हुयी
- उम्दा = उच्चकोटि का जुस्तजू = खोज (तलाश)
- ग़नीमत = भाग्य से
- ***************************
- अश्क है कीमती
- यु ना जाया करो
- बे -सबब बात को
- ना बढाया करो
- मुन्तजिर है फकत हम तो
- दीदार के
- चाह इतनी सी है
- यु ना सताया करो
- ***************************
- चलो कुछ दिन के लिए दुनियाँ छोड देते है फराज़
- सुना है लोग बहुत याद करते है चले जाने के बाद |
- ***************************
- आसान नहीं इस दुनिया में, ख्वाबों के सहारे जी लेना,
- संगीन-हकीकत है दुनिया, यह कोई सुनहरी ख्वाब नहीं।
- ***************************
- राहों की जह्मतो का उन्हें क्या सबूत दूँ
- मंजिल मिली तो पावों में छाले नही रहे |
- ***************************
- बस्ती में वो सन्नाटा, कि जंगल मात लगे
- शाम ढले भी घर पहुँचो, तो आधी रात लगे
- ख़त में दिल की बातें लिखना, अच्छी बात नहीं
- घर में इतने लोग हैं, जाने किसके हाथ लगे
- उनसे बिछड़े, दिल को उजड़े, बरसों बीत गए
- आँखों का ये हाल अभी तक कल की बात लगे
- मुठ्ठी बंद किये बैठी हूँ, कोई देख न ले
- कि चाँद पकड़ने घर निकली, जुगनू हाथ लगे
- ***************************
- कुछ और बढ़ाओ अब लो मशाल हिम्मत की
- मंजिल के करीब आकर बढ़ती है थकन यारों
- ***************************
- क्यों किसी रहबर से पुछूं अपनी मंजिल का पता
- मौजे-दरिया खुद लगा लेती है साहिल का पता
- ***************************
- खुद यकीं होता नहीं जिनको अपनी मंजिल का
- उनको राह के पत्थर कभी रास्ता नहीं देते
- ***************************
- चलने को चल रहा हूँ मगर इसकी खबर नहीं,
- मैं हूँ सफर में या मेरी मंजिल सफर में है
- ***************************
- न मिला सुरागे-मंजिल कहीं उम्र भी किसी को,
- नजर आ गई है मंजिल कहीं दो कदम ही चल के।
- ***************************
- यह शहर अगर शहर है तो सुनसान सा क्यों है
- इस शहर का हर शख्स परेशान सा क्यों है
- इस शहर के लोग जिसे कहते हैं मसीहा
- वो शख्स मेरे दर्द से अनजान सा क्यों है
- मिट्टी का बना है तो घुल क्यों नहीं जाता
- पत्थर का सनम है तो इंसान सा क्यों है
- ***************************
- घर से यह सोच के निकली कि मर जाना है
- अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है
- जिस्म से साथ निभाने की मत उम्मीद रखो
- इस मुसाफिर को तो रस्ते में हे ठहर जाना है
- ***************************
- *मजबूर ये हालात इधर भी हैं उधर भी हैं
- तन्हाई की एक रात इधर भी है उधर भी है
- कहने को बहुत कुछ है मगर किस से कहें हम
- कब तक युहीं दबते यूंही सहते रहे हैं
- दिल कहता है दुनिया की हर रस्म उठा दें
- दीवार हो हम दोनों में है आज गिरा दें
- अब दिल में यही बात इधर भी है उधर भी है
- ***************************
- हम तेरी धुन में जिया करते थे
- मन में ही चुपचाप हँसा करते थे
- आँखों में प्यास हुआ करती थी
- दिल में तूफ़ान उठा करते थे
- सच समझते थे तेरी मुहब्बत को
- दिल में क्या फूल खिला करते थे
- घर की दीवार सजाने की खातिर
- हम तेरा नाम लिखा करते थे
- कल तुझे देख कर याद आया
- हम भी कभी मुहब्बत किया करते थे
- ***************************
- उदास मुस्कुराहटों के पीछे गम के रेले हैं
- अब तुम्हे क्या बताएं कि तुम बिन कितने अकेले हैं
- ***************************
- ये अक़्ल वाले नहीं अहल-ए-दिल समझते हैं
- कि क्यों शराब से पहले वुज़ू ज़रूरी है।
- ***************************
- जहाँ तक मुझे ध्यान है ,
- नमाज से पहले हाथ धोए जाते है जिसे ही वुजू कहते है ,
- यदि इसमें कोई त्रुरी हो तो पाठ जी , जरा सा ....
- ***************************
- हो जाती है सियाही बेहद हर और ,
- रुख पे यूँ पर्दा किया न कीजिये ......................
- ***************************
- अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे
- मर के भी चैन न आया तो किधर जायेंगे |
- ***************************
- किसी के मरने पर वो दुखी हो
- जिसे खुद कभी ना मरना हो.......ग़ालिब.....
- ***************************
- नकाबे-रूख उलटने तक तो मुझको होश था लेकिन
- भरी महफिल में उसके बाद क्या गुजरी खुदा जाने
- ***************************
- नजर में ढलके उभरते हैं दिल के अफसाने
- ये और बात है कि दुनिया नजर न पहचाने
- यह बज्म देखी है मेरी निगाह ने कि जहाँ
- बगैर शम्मे भी जलते रहते हैं परवाने।
- ***************************
- सरे-महफिल जुबाँ खुलवाने वालों।
- जरा सोचो पशीमाँ कौन होगा?
- ***************************
- सुना था तेरी महफिल में सुकूने-दिल भी मिलता है
- मगर हम जब भी तेरी महफिल से आये, बेकरार आये
- ***************************
- ये जरूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो
- प्यार के जख्म अमानत है दिखाया न करो |
- ***************************
- याद रहेगा ये दौरे हयात भी हमे
- के ज़िन्दगी मे ही तरसे हैं ज़िन्दगी के लिए |
- ***************************
- वक्त ज़ालिम था मेरी हर ख्वाहिश......
- उसने दीवार ए ग़म मे चिनवा दी |
- ***************************
- ये मोअजिज़ा भी मोहब्बत कभी दिखाए हमे
- के संग तुझ पे गिरे और जख्म आये हमे |
- मोअजिज़ा = चमत्कार
- संग = पत्थर
- ***************************
- आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये
- ख़्वाबिदा ज़िन्दगी थी जगा कर चले गये
- ***************************
- अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे
- अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे
- अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे
- .
- .
- मर गये पर न लगा जी तो किधर जायेंगे
- ***************************
- कुछ बाँट दीजिये हमें भी अपनी वफा के फूल
- हम भी खड़े हुए है अहले-वफा की कतार में
- ***************************
- उदास होके फूल गिरा शाख से तो क्या,
- वह मौत है हसीन, आए जो, शबाब में।
- ***************************
- मौत उसकी, करे जिसका जमाना अफसोस
- यूं तो दुनिया में सभी आते, हैं मरने के लिए
- ***************************
- मुझे हर खाक के जर्रे पर यह लिखा नजर आया
- मुसाफिर हूँ अदम का और फना है कारवाँ मेरा।
- अदम - परलोक, यमलोक,
- फना - मृत्यु, मौत, मरण
- ***************************
- हादसे क्या क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गये
- सारी दुनिया के लिए हम अजनबी हो गये |
- ***************************
- अब कोई तोहमत भी वजह ए कर्ब ए रुसवाई नहीं
- ज़िन्दगी इक उम्र से चुप है तेरे इसरार पे |
- ***************************
- रहबर समझ लिया है तुझे गर्दे कारवाँ
- चलते रहेंगे हम भी जहाँ तक गुबार है |
- ***************************
- बात करने में फूल झड़ते हैं, बर्क गिरती है मुस्कराने में,
- नजरें जैसे फराखदिल सांकी खुम लुढाये मैखाने में।
- ***************************
- हादसे क्या क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गये
- सारी दुनिया के लिए हम अजनबी हो गये |
- कुछ तुम्हारे केसुओं की बेरहमी ने कर दिए,
- कुछ अँधेरे मेरे घर में रौशनी से हो गए!
- ***************************
- दर्द ऐसा है कि होता नहीं ज़ख्मों का शुमार।
- कौन कर सकता है टूटे हुए रिश्तों का शुमार।
- ***************************
- अभी हवाएं न गुल कर सकेंगी इनकी लवें,
- अभी तो जान है बुझते हुए चरागों में।
- मैं उसको भूल चुका हूँ, ग़लत था मेरा ख़याल,
- वो बार-बार नज़र आया मुझको ख़्वाबों में।
- ***************************
- पाथ जी ये सिर्फ आपको नज़र है.......
- आप में गुम हैं मगर सबकी ख़बर रखते हैं.
- बैठकर घर में ज़माने पे नज़र रखते हैं.
- ***************************
- कोई सोचे तो फ़र्क कितना है,
- हुस्न और इश्क़ के फ़सानों में।
- ***************************
- इस्लाम छोड़ कुफ़्र किया फिर किसी को क्या
- जीवन था मेरा मैंने जिया फिर किसी को क्या.
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- जो भी किया, किया न किया, फिर किसी को क्या
- ग़ालिब उधार लेके जिया फिर किसी को क्या.
- ***************************
- बिछडे़ लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
- दिल में उम्मीद तो काफ़ी हैयक़ीं कुछ कम है
- ***************************
- शबे -ग़म क्या करें कैसे गुज़ारें
- किसे आवाज़ दें, किसको पुकारें
- ***************************
- सारे जग की प्यास बुझाना, इतना आसाँ काम है क्या?
- पानी को भी भाप में ढलकर बादल बनना पड़ता है
- ***************************
- भीग जाएगी पसीने से जो पेशानी मेरी
- कौन अपने नर्म आँचल की हवा देगा मुझे
- ***************************
- मैं एक उलझी सी पहेली हूँ
- खुद की सुलझी सी सहेली हूँ ,
- चांदनी रात में सपनो को बुनती हूँ
- दिन के उजाले में उनको ढूंढती हूँ
- ***************************
- तू राह में सोता है वो भी तो मुसाफिर है
- मंजिल पर पहुंचकर भी जो आराम नहीं करते
- ***************************
- सब कुछ खुदा से माँग लिया, तुझको माँगकर
- उठते नहीं हैं हाथ, मेरे इस दुआ के बाद
- ***************************
- यह गैसुओं की घटाएं,यह लबों के मैखाने
- निगाहे-शौक खुदाया कहाँ - कहाँ ठहरे
- ***************************
- साहिल के सकूं से किसे इन्कार है लेकिन
- तूफान से लड़ने में मजा और ही कुछ है।
- ***************************
- उसी को जिसने न की भूलकर भी बात कभी
- बगैर याद किये कट न सकी एक रात कभी
- ***************************
- अब वो हँसी-मज़ाक़, वो शिकवे-गिले नहीं.
- आपस की बात-चीत के भी सिलसिले नहीं.
- ***************************
- रुखसत हुआ तो आँख मिला कर नही गया
- वो क्यूँ गया हे ये भी बता कर नही गया
- वो यूँ गया के बाद -ए -सबा याद आ गयी
- एहसास तक भी हम को दिला कर नही गया
- यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा
- जाते हुए चराग बुझा कर नही गया
- बस एक लकीर खींच गया दरमियाँ में
- दीवार रास्ते में बना कर नही गया
- घर में है आज तक वही खुशबु बसी हुयी
- लगता है यूँ के जैसे वो आ कर नही गया
- तब तक तो फूल जैसी ताज़ा थी उसकी याद
- जब तक वो पत्तियों को जुदा कर नही गया
- रहने दिया न उसने किसी काम का मुझे
- और ख़ाक में भी मुझ को मिला कर नही गया
- ये गिला ही रहा उस की ज़ात से शाकिर
- के जाते जाते कोई गिला कर नही गया !
- ***************************
- रुखसत हुआ तो आँख मिला कर नही गया
- वो क्यूँ गया हे ये भी बता कर नही गया
- वो यूँ गया के बाद -ए -सबा याद आ गयी
- एहसास तक भी हम को दिला कर नही गया
- यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा
- जाते हुए चराग बुझा कर नही गया
- बस एक लकीर खींच गया दरमियाँ में
- दीवार रास्ते में बना कर नही गया
- घर में है आज तक वही खुशबु बसी हुयी
- लगता है यूँ के जैसे वो आ कर नही गया
- तब तक तो फूल जैसी ताज़ा थी उसकी याद
- जब तक वो पत्तियों को जुदा कर नही गया
- रहने दिया न उसने किसी काम का मुझे
- और ख़ाक में भी मुझ को मिला कर नही गया
- ये गिला ही रहा उस की ज़ात से शाकिर
- के जाते जाते कोई गिला कर नही गया !
- ***************************
- हर कली गुलशने-तमन्ना की मुस्कुराकर जवाँ हो जाती
- आप होते जो मेहरबाँ मुझपर, जिन्दगी मेहरबाँ हो जाती
- ***************************
- रंजिश ही सही , दिल को दुखाने के लिए आ
- आ फिर से मुझे , छोड़ जाने के लिए आ.....
- ***************************
- दिल-इ-नादान तुझे हुआ क्या है..आखिर इस दर्द की दवा क्या है
- हमको उनसे हे वफ़ा की उम्मीद ..जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
- ***************************
- कौन कहता ही की आसमां में छेद हो नहीं सकता
- इस पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.......
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- ये शबे फिराक ये बेबसी, हैं कदम-कदम पे उदासियां
- मेरा साथ कोई न दे सका, मेरी हसरतें हैं धुआं-धुआ
- ***************************
- बुलबुल को न रास आयी, ये कैसी बहारें हैं
- निकहत की राहों में मजहब की दिवारें हैं
- यह ऐसा बियावाँ है, साया है न पानी है
- पथरीली पहाडी पर, काँटों के किनारे हैं
- ***************************
- रुखसत हुआ तो आँख मिला कर नही गया
- वो क्यूँ गया हे ये भी बता कर नही गया
- वो यूँ गया के बाद -ए -सबा याद आ गयी
- एहसास तक भी हम को दिला कर नही गया
- यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा
- जाते हुए चराग बुझा कर नही गया
- बस एक लकीर खींच गया दरमियाँ में
- दीवार रास्ते में बना कर नही गया
- घर में है आज तक वही खुशबु बसी हुयी
- लगता है यूँ के जैसे वो आ कर नही गया
- तब तक तो फूल जैसी ताज़ा थी उसकी याद
- जब तक वो पत्तियों को जुदा कर नही गया
- रहने दिया न उसने किसी काम का मुझे
- और ख़ाक में भी मुझ को मिला कर नही गया
- ये गिला ही रहा उस की ज़ात से शाकिर
- के जाते जाते कोई गिला कर नही गया !
- साजिद भाई,इस उम्दा शायरी के लिए रेपो स्वीकारें .....
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- तुम्हारी ख्वाहिशों ने तोड़ डाली, बंदिशे मेरी
- उनकी हसरतों ने चूर कर दी कोशिशें मेरी
- जमीं पर अब्र छाया है, वो देखो इस कदर से कि
- चुपके से बरस बैठा, बुझा दी आतिशें मेरी
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- चलो अब उड़ के आओ भी, मुंडेरें सूनी सूनी हैं
- तुम्हे तहजीबे उल्फत की, बुलंदी भी तो छूनी हैं
- यहाँ गंगा की चंचलता, यमुना का संजीदापन
- यहाँ पर राधास्वामी हैं यहाँ पे मस्जिद खूनी है
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- हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह
- मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह
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- सिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे ‘राना’
- रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते
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- सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
- हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं
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- मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है
- कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है
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- मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
- मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
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- अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’
- माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है
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- जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
- मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा
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- मुझे भी उसकी जुदाई सताती रहती है
- उसे भी ख़्वाब में बेटा दिखाई देता है
- ***************************
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