- अपना तो आशिकी का किस्सा-ए-मुख्तसर है,
- हम जा मिले खुदा से दिलबर बदल-बदल कर।
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- अपनी कमजर्फी का गम है और काई गम नहीं,
- दिल से तेरा गम न संभला, मुझको है बस ये मलाल।
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- अपनी गली में मुझको न कर दफ्न बादे-कत्ल,
- मेरे पते से खल्क को क्यों तेरा घर मिले।
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- अपनी नजर से तूने हमें क्या गिरा दिया,
- सारे जहाँ के दिल से, नजर से गिरा दिया।
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- अपनी बर्बादियों का रंज नहीं लेकिन,
- तेरी तन्हाइयों का क्या होगा।
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- अपनी मख्मूर निगाहों को न दो इज्ने-खिराम,
- बढ़ गई और अगर प्यास तो फिर क्या होगा।
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- अपनी रूसवाई का गम था जब हमें, वो दिन गये,
- अब तो यह गम है कि ऐसी फिर न रूसवाई हुई।
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- अपने मरने का गम नहीं लेकिन,
- हाय तुमसे जुदाई होती है।
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- अपने हाथों की लकीरों में बसा लो मुझको,
- मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना लो मुझको।
- मुझसे तू पूछने आया है वफा के मायने,
- यह तेरी सादादिली मार न डाले मुझको।
- खुद को मैं कहीं बाँट न लूँ दामन – दामन,
- कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।
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- अपने-अपने हौसले,अपने तलब की बात है,
- चुन लिया हमने तुम्हें सारा जहाँ रहने दिया।
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- अब करके फरामोश तो नाशाद करोगे,
- पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोंगे।
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- अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें ,
- जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें ।
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- अब क्या करूँ तलाश किसी कारवां को मैं,
- गुम हो गया हूँ पाके तेरे आस्ताँ को मैं।
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- अब जाके आरजू का मुकम्मल हुआ है नक्श,
- सब मानने लगे हैं कि मैं दीवाना हो गया।
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- अब तक न खबर थी, मुझे उजड़े हुए घर की,
- तुम आए तो घर बेसरोसामां नजर आया।
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- अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चराग,
- इनसे कब हिज्र की रातों में उजाला होगा।
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- अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें,
- कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए हैं।
- यह इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें,
- इक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है।
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- अभी तो दिल में हल्की-सी कसक मालूम होती है,
- बहुत मुमकिन है कल इसका मुहब्बत नाम हो जाये।
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- 'अर्श' पहले यह शिकायत थी खफा होता है वह,
- अब यह शिकवा है कि वह जालिम खफा होता नहीं।
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- अलग बैठे थे फिर भी आँख साकी की पड़ी मुझ पर,
- अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आयेंगे।
- अश्क बनकर आई हैं वह इल्तिजाएं चश्म तक,
- जिनको कहने के लिए होठों पै गोयाई नहीं।
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- आंखों ने जरे-जर्रे पर सिज्दे लुटाये हैं,
- क्या जाने, जा छुपा मेरा पर्दानशीं कहाँ।
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- आ मैं तुझे बता दूँ, राजे-गमे-मुहब्बत,
- एहसासे-आरजू ही, तकमीले-आरजू है।
- आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं,
- जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ मैं।
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- आ कि तुझ बिन कम हुआ जाता है लुत्फे-जिन्दगी,
- टिमटिमाता है चरागे - जिन्दगी तेरे बगैर।
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- आइना हो जाये मेरा इश्क उसके हुस्न का,
- क्या मजा हो दर्द गर खुद ही दवा देने लगे।
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- आग थे इब्तिदा- ए - इश्क में हम,
- अब जो हैं खाक, इन्तिहा है यह।
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- आगे खुदा ही जाने अंजामे - इश्क क्या हो,
- जब ऐ 'शकील' अपना यह हाल है अभी से।
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- आज कैसी हवा चली ऐ 'फिराक',
- आख बेइख्तियार भर आई।
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- आज वो मेहरबाँ से लगते हैं,
- कोई वादा वफा न हो जाये।
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- आते-आते आयेगा उनको खयाल,
- जाते - जाते बेखयाली जायेगी।
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- अगर अपने को फितरत का यह इंसां राजदाँ कर ले,
- हर इक जर्रे से पैदा बेतकल्लुफ सौ जहां कर।
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- अगर दर्दे-मुहब्बत से न इन्साँ आशना होता,
- न मरने का अलम होता, न जीने का मजा होता।
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- अजब आरजू है, अनोखी अदा है,
- तुझी से तुझे माँगना चाहता हूँ।
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- अजल को दोष दें, तकदीर को रोयें, मुझे कोसें
- मेरे कातिल का चर्चा क्यों है मेरे सोगवारों में।
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- अजाबे-जां है खुदा जाने क्यों यह आजादी,
- सुकून था जो कफस में वह आशियां में नहीं।
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- अदा निगाहों से होता है फर्जे-गोयाई,
- जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।
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- अनगिनत लोगों ने दुनिया में मुहब्बत की है,
- कौन कहता है कि सादिक न थे जज्बे उनके,
- लेकिन उनके लिए तश्हीर का सामान नहीं,
- क्योंकि ये लोग भी अपनी तरह मुफलिस थे।
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- 'अनीस' आसाँ नहीं आबाद करना घर मुहब्बत का,
- यह उनका काम है जो जिन्दगी बरबाद करते हैं।
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शायरी मोहब्बत@mohabbat
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