- मंज़िलो से अपनी डर ना जाना,
- रास्ते की परेशानियों से टूट ना जाना,
- जब भी ज़रूरत हो ज़िंदगी मे किसी अपने की,
- हम आपके अपने है ये भूल ना जाना.
- ****************************
- जैसे सूरज के बिना सुबह नहीं होती;
- चाँद के बिना रात नहीं होती;
- बादल के बिना बरसात नहीं होती;
- वैसे ही आपकी याद के बिना दिन की शुरुआत नहीं होती।
- सुप्रभात!
- ****************************
- सुबह का मौसम और आपकी याद;
- हलकी सी ठंडक और चाय की प्यास;
- यारों की यारी और यारी की मिठास;
- शुरू कीजिए अपना दिन मेरी सुप्रभात के साथ।
- सुप्रभात!
- ****************************
- प्यारी-प्यारी सुबह है, बूँदों की बरसात है;
- हवा भी थोड़ी ठंडी है, मौसम भी अनुकूल है;
- प्यारी-प्यारी सुबह है, बस कहना सुप्रभात है।
- सुप्रभात!
- ****************************
- एक और प्यारी सी सुबह हो गई;
- ज़िंदगी की खुशनुमा फ़िज़ा हो गई;
- मुबारक हो आपको आज का दिन;
- जिसमें शामिल आपकी दुआ हो गई।
- सुप्रभात!
- ****************************
- सूरज की किरण रौशनी लाती है;
- उठते ही आपकी याद आती है;
- हम तो जाग गए आपकी यादों की दस्तक से;
- अब देखना है आपको हमारी याद कब आती है।
- सुप्रभात!
- ****************************
- ये भी एक दुआ है खुदा से;
- किसी का दिल ना दुखे मेरी वजह से;
- ऐ खुदा कर दे कुछ ऐसी इनायत मुझ पर, कि खुशियाँ ही खुशियाँ मिलें सबको मेरी वजह से।
- सुप्रभात!
- ****************************
- सुप्रभात का उजाला सदा आपके साथ हो;
- हर दिन का एक-एक पल आप के लिए कुछ ख़ास हो;
- दुआ हमेशा निकलती है दिल से आपके लिए;
- ढेर खुशियों का खज़ाना आपके पास हो।
- सुप्रभात!
- ****************************
- तुम जिसे चाहो अपना अंदाज़ दे देना;
- हक़ इतना सा मुझे आज दे देना;
- नज़रें दुनियां की जब तुम्हें तन्हा छोड़ दें;
- बस उस मोड़ पर मुझे एक आवाज़ दे देना।
- ****************************
- सूरज निकल रहा है पूरब से;
- दिन शुरू हुआ आपकी याद से;
- कहना चाहते हैं हम आपको दिल से;
- हर दिन हो जाये अच्छा आपकी प्यारी सी मुस्कान से।
- सुप्रभात!
- ****************************
- नयी-नयी सुबह, नया-नया सवेरा;
- सूरज की किरणों में हवाओं का बसेरा;
- खुले आसमान में सूरज का सवेरा;
- मुबारक़ हो आपको ये हसीं सवेरा।
- ****************************
- ताज़ी हवा में फूलों की महक हो;
- पहली किरण में चिड़ियों की चहक हो;
- जब भी खोलो आप अपनी पलकें,
- उन पलकों में बस खुशियों की झलक हो।
- सुप्रभात!
- ****************************
- अज़ीज़ भी वो हैं, नसीब भी वो हैं;
- दुनिया की भीड़ में करीब भी वो हैं;
- उनके आशीर्वाद से हैं चलती ज़िंदगी;
- खुदा भी वो हैं और तकदीर भी वो हैं।
- सुप्रभात!
- ****************************
- सूरज तू उनको मेरा पैगाम देना;
- ख़ुशी का दिन और हंसी की सुबह देना;
- जब वो देखें तुझे बाहर आकर;
- तो उनको मेरा सुप्रभात कहना।
- ****************************
- मौसम की बहार अच्छी हो;
- फूलों की कलियाँ कच्ची हों;
- हमारे ये रिश्ते सच्चे हों;
- ऐ रब तेरे से बस एक दुआ है;
- कि मेरे यार की हर सुबह अच्छी हो।
- सुप्रभात!
- ****************************
- हर सुबह निकल पड़ता है जो खुद की तलाश में;
- वो खोई हुई सी एक पहचान हूँ मैं;
- ना आँखों में ख्वाब है ना दिल में तमन्ना कोई;
- अपनी बनाई हुई राहों से ही अनजान हूँ मैं।
- सुप्रभात!
- ****************************
- यमराज ऑन अर्थ
- पात्र : यमराज और दो यमदूत, कुछ अन्य पात्र स्वसुविधानुसार रखे
- जा सकते हैं
- पहला दृश्य
- यमलोक का सीन, जिसे स्वसुविधानुसार व्यवस्थित किया जा
- सकता है।
- यमराज एक तरफ अपने सिंहासन पर बैठे हैं। उनके पास दो
- यमदूत खड़े हैं।
- यमदूत1 : बॉस, आज आप कुछ परेशान दिखाई दे रहे हैं।
- यमराज : हम अब अपने काम से प्रसन्न नहीं हैं।
- यमदूत : क्यों बॉस !?
- यमराज : दरअसल, पहले अक्सर हमारे पृथ्वीलोक के टूर बनते
- रहते थे। कुछ बेहतरीन आत्माओं को लेने हमें स्वयं पृथ्वीलोक
- जाना पड़ता था। इससे अच्छा-खासा टी.ए., डी.ए. भी बन
- जाता था।
- यमदूत1 : हाँ सो तो है बॉस। थोड़ा-बहुत आपके साथ हम
- लोगों का कल्याण भी हो जाता था। (फीकी हंसी हंसता है)
- यमदूत2 : बॉस, आप तो हमेशा से यह काम कर रहे थे,
- तब हाईकमान ने अचानक अब सारा सिस्टम क्यों बदल दिया ?
- यमराज : दरअसल, अब एक तो अच्छी आत्माएँ पृथ्वीलोक पर
- बहुत कम बची हैं, दूसरे भैंसे से जाने पर हमें बहुत टाइम भी लग
- जाता था। कुछ अच्छी आत्माओं ने पिछले दिनों हाइकमान से जब
- हमारे भैंसे की स्लो स्पीड के बारे में बताया, तो उन्होंने हमारे भैंसे
- को भी नौकरी से हटा दिया। अब उसका सारा खर्चा मुझे ही उठाना
- पड़ा रहा है आप लोग तो जानते ही हैं कि अपने भैंसे की डाइट
- कितनी हैवी है।
- यमदूत1 : यस, सर पर डे दो क्वींटल काजू-बादाम से तो उसका
- ब्रेकफास्ट होता है।
- यमराज : खैर, असली बात ये है कि मैंने हाईकमान को एक महीने
- की छुट्टी की एप्लीकेशन दी है। मैं तुम लोगों के साथ एक महीना
- पृथ्वीलोक पर बिताना चाहता हूँ।
- यमदूत (दोनों) : रियली सर !
- यमराज : यस, डेफिनेटली !
- (तभी यमराज के मोबाइल की घण्टी बज उठती है।)
- यमराज : हैलो...ओह यस सर...गुड मार्निंग सर...हाँ...हाँ सर...अरे
- नहीं सर...ऑनली वन मन्थ सर...हाँ...हाँ... जी...ओ के...थैंक्यू,
- थैंक्यू सर ! (फोन बन्द करते हुए) हाईकमान का फोन था, वन
- मन्थ लीव सैंग्शन हो गई हैं।
- यमदूत 1 : वॉऊ ! मजा आ गया सर !
- यमराज : तो तैयारी शुरू करो, कल निकलना है।
- यमदूत (दोनों) : ओ. के. बॉस !
- दूसरा दृश्य
- (मंच के पीछे पर्दे पर पृथ्वीलोक से जुड़े दृश्य दिखाये जा सकते हैं)
- यमराज : यमदूत, हम लोग एक अर्से बाद पृथ्वीलोक पर आये हैं,
- यहाँ तो सब उलट-पुलट हो गया है।
- यमदूत 1 : (अपने दुपट्टे से पसीना पोंछते हुए) यस बॉस, बहुत
- गर्मी भी लग रही है इस बार तो।
- यमदूत 2 : बॉस, धूल-धुएँ से इस बार तो साँस लेने में भी प्रॉब्लम
- हो रही हैं।
- यमराज : इंसान तो लगता है इस स्वर्ग से भी सुन्दर धरती का
- कबाड़ा कर के रख दिया।
- यमदूत 1 : चारों तरफ कचरे के ढेर और गन्दे नाले दिखाई दे रहे हैं।
- (एक तरफ इशारा करते हुए) ये नाला देखिए बॉस, पिछली बार जब
- हम यहाँ आए थे तो यहाँ कोई नदी होती थी, क्या नाम था उसका...
- (सोचता है)
- यमदूत 2 : यमुना नदी, अरे ये वही नदी है, लेकिन इंसान ने इसमें
- इतना कचरा बहाया है कि ये गंदे नाले से भी बद्तर हो गई है।
- यमदूत 1 : अरे बाप रे ! इसका मतलब तो इंसान ने सारी नदियों
- का ऐसे ही सत्यानाश कर दिया होगा।
- यमराज : और क्या, वो देखो...वो गंगा नदी है, देखो इसकी भी क्या
- हालत बना दी इस इंसान ने।
- यमदूत 2 : (आश्चर्य से) गंगा !...क्या ये गंगा नदी है !...ये तो
- बड़ी कमजोर और मैली दिखाई दे रही है।
- यमराज : चलो, आगे चलते हैं, मुझसे गंगा की ऐसी हालत नहीं
- देखी जा रही।
- यमदूत 1 : चलिए, बॉस चलिए... हम भी गंगा की ऐसी हालत
- नहीं देख सकते।
- (आगे बढ़ते हैं तो कुछ लोग जंगल काटते दिखाई देते हैं।)
- यमदूत 2 : अरे बॉस, ये बेवकूफ तो अंधा-धुंध पेड़ों को काटे जा
- रहे हैं।
- यमराज : (दुःख से) हाँ, मैं भी देख रहा हूँ।
- यमदूत 1 : लेकिन बॉस कुछ करिए, अन्यथा ये मूर्ख तो इस पूरी
- धरती को ही उजाड़ देंगे।
- यमराज : डीयर यमदूतों ! हम कुछ नहीं कर सकते। दरअसल,
- हाईकमान ने चलते हुए हमें सख्त हिदायत दी थी कि पृथ्वीलोक
- पर पहुँच कर हम अपनी शक्तियों को प्रयोग न करें। मनुष्य के
- किसी भी काम में टाँग न अड़ायें।
- यमदूत 2 : लेकिन हम इन्हें ये तो बता सकते हैं कि पेड़ों के
- बिना इसान संकट में पड़ जाएगा।
- यमराज : इंसान ये सब जानता है, वह पेड़ों के महत्व को
- भली-भांति समझता है, लेकिन थोड़े से लाभ के लिए वह
- अमूल्य पेड़ों को कटवाने से नहीं चूकता। ऐसा करके वह
- निश्चित रूप से अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार रहा है।
- आज दिनों-दिन पृथ्वी पर जो मौसम गर्म हो रहा है
- उसमें तेजी से कट रहे जंगलों की बहुत बड़ी भूमिका है।
- यमदूत 1 : चलिए बॉस, आगे चलते हैं, ये मूर्ख तो धरती को
- उजाड़ कर ही मानेंगे।
- (आगे बढ़ते हैं, नेपथ्य से गाड़ियों की, मशीनों की घरघराहट
- आदि की आवजें आती हैं।)
- यमदूत 1 : मेरा तो दर्द के मारे सर फटा जा रहा है।
- यमदूत 2 : मुझे तो इस धूल-धुएँ से चक्कर आ रहे हैं,
- लगता है वॉमिटिंग हो जाएगी।
- (सिर पकड़ के एक तरफ बैठ जाता है और उल्टियाँ करने का
- अभिनय करता है। थोड़ी देर में यमदूत-1 सहारा देकर उठाता है।)
- तभी यमराज के मोबाइल की घण्टी बजती है।
- यमराज : हैलो...ओह ! गुडमार्निंग सर...हाँ सर, सुना तो
- मैंने भी है...अच्छा सर, ओ के...ओ. के. सर।
- यमदूत 2 : किसका फोन था बॉस ?
- यमराज : स्वर्गलोक से हाईकमान का फोन था, कह रहे थे कि
- पृथ्वीलोक पर स्वाइन फ्ल्यू नाम की महामारी फैली हुई है, अतः
- हम लोग जल्दी वापस यमलोक लौट आएं और साथ ही अपना
- पूरा चैकअप कराके सर्टिफिकेट भी साथ लाएँ। (थके और उदास
- स्वर में) यमदूतों ! हमें पृथ्वी पर आये कितना टाइम हो गया ?
- यमदूत 1 : आई थिंक, टू डेज़ सर !
- यमराज : ऑनली टू डेज़ ! लगता ऐसा है जैसे महीनों गुज़र गए
- हैं। धरती का जो हाल है उससे अब और समय यहाँ बिताना हमारे
- लिए खतरे से खाली नहीं रहेगा। वॉट यू थिंक ?
- यमदूत 2 : (थके स्वर में) यू आर राइट सर ! मेरे ख्याल से हमें
- यमलोक वापस चलना चाहिए।
- ****************************
- चारपाई पे बैठी तन्हाई
- मेघदूत को भिजवा देता
- पर शहर तो तेरा मेघत्रस्त है |
- विद्युत संवाद किये देता हूँ
- दूरभाष वालों को तो आज दस्त है |
- ये सन्देश मिले उस रूपसी को
- जो मेरी बिन्दङी सी दिखती हो |
- ग़र दिखे वो बिन्दङी सी मेरी
- आँखों में मेरी ही तस्वीर दिखती हो |
- पढ़ लेवें वो भी जो
- मेरी प्रेयसी के सगे लगते हैं |
- प्रिया के मुंह से मेरे क़िस्से
- सुनकर जो दुःख में भी चहकते हैं |
- विषय न जानूँ अये किन्नू
- क्या लिखूं इस पैग़ाम का |
- इसे समझ लेना आंगन में मेरे
- नेह -निमंत्रण तेरी यादों की बारात का |
- तुम न हो तो आँगन में
- कोई चारपाई पे बैठी रहती है |
- कहती है तेरी याद है
- पर वो तन्हाई सी दिखती है |
- वो ख़िज़ायें वो बहारें
- जो उसने तुझे दिखाई है |
- सब झूठे हैं ऐसा कहके
- मुझे वो हर शु बहुत चिढाती है |
- करके याद तेरी बातों को
- जब मैं बे-बात ही हँसता हूँ |
- दीवाना हो कहके वो श्यामा
- बड़ी ज़ोर से ठिठकती है |
- अपनी शोख़ी और अदा से
- मुझे बहुत रिझाती है |
- तारीफ़ में तेरी सुख़न सुनाकर
- मैं भी बहुत जलाता हूँ |
- लाख करे कोशिश वो
- लेकिन उसकी शोख़ी में ना आऊंगा |
- तुम ना डरना हे प्रिये
- हमेशा तेरे ही गीत मैं गाऊंगा |
- पर प्रिये ऐसा ना हो
- मेरी आँखे पानी पी सो जाये |
- और मेरे ही आँगन में
- तन्हाई जलसा-ओ-दावत मनाये |
- देर ना करना अये किन्नू
- यहाँ हिज्राँ की बदरी छायी है |
- तुम आओगी ऐसा कहके
- तेरे यादों की बारात बुलाई है |
- ****************************
- शिकायत है उन्हें कि,
- हमें मोहब्बत करना नही आता,
- शिकवा तो इस दिल को भी है,
- पर इसे शिकायत करना नहीं आता.
- ****************************
- न रास्ता सुझाई देता है,
- न मंजिल दिखाई देती है,
- न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं,
- न धड़कन सुनाई देती है,
- एक अजीब सी कैफियत ने
- आन घेरा है मुझे,
- की हर सूरत में,
- तेरी सूरत दिखाई देती है...
- ****************************
- यादों की किम्मत वो क्या जाने,
- जो ख़ुद यादों के मिटा दिए करते हैं,
- यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
- यादों के सहारे जिया करते हैं...
- ****************************
- हम तो हर बार मोहब्बत से सदा देते हैं
- आप सुनते हैं और सुनके भुला देते हैं
- ऐसे चुभते हैं तेरी याद के खंजर मुझको
- भूल जाऊं जो कभी याद दिला देते हैं
- ज़ख्म खाते हैं तेरी शोख नीगाही से बोहोत
- खूबसूरत से कई ख्वाब सजा लेते हैं
- तोड़ देते हैं हर एक मोड़ पे दील मेरा
- आप क्या खूब वफाओं का सिला देते हैं
- दोस्ती को कोई उन्वान तो देना होगा
- रंग कुछ इस पे मोहब्बत का चढा देते हैं
- तल्खी ऐ रंज ऐ मोहब्बत से परीशां होकर
- मेरे आंसू तुझे हंसने की दुआ देते हैं
- हाथ आता नही कुछ भी तो अंधेरों के सीवा
- क्यूँ सरे शाम यूँ ही दील को जला लेते हैं
- हम तो हर बार मोहब्बत का गुमा करते हैं
- वो हर एक बार मोहब्बत से दगा देते हैं
- दम भर को ठहरना मेरी फितरत न समझना
- हम जो चलते हैं तो तूफ़ान उठा देते हैं
- आपको अपनी मोहब्बत भी नही रास आती
- हम तो नफरत को भी आंखों से लगा लेते
- ****************************
- आँख में पानी छलकता
- आँख में पानी छलकता वीर वानी क्या कहूं ?
- मिट गया नामों निशाँ उनकी निशानी क्या कहूं ?
- देश की इज्जत बचाने में कटाए सर कभी |
- मिल गयीं जो गर्दिशों में जिंदगानी क्या कहूं ?
- था सिपाही एक मंगल क्रांति ज्वाला फूंक दी |
- ज्वाल पाण्डे की चली थे खानदानी क्या कहूं ?
- शेरनी लक्ष्मी वही जो थी दीवानी जंग की |
- जंग में अग्रेज हारे वो जवानी क्या कहूं ?
- चन्द्रशेखर और बिस्मिल भगत सिंह क्या वीर थे ?
- शेर जो अशफाक उल्ला की कहानी क्या कहूं ?
- हिन्द वासी बोस नेता हिन्द ए आजाद फ़ौज |
- खूब मारे थे फिरंगी हिन्द पानी क्या कहूं ?
- शिव बताता है सही गुल पाहनों से थे हुए |
- वीर वानी है गजल हमको है गानी क्या कहूं
- ****************************
- दो आईने को देखकर देखा किया तुझे
- तेरी आंखों में डूबकर देखा किया तुझे
- सुन ले जरा क्या कह रही तुमसे मेरी निगाह
- खामोशियों से बोलकर देखा किया तुझे
- लहरें तो आके रूक गईं साहिल को चूमकर
- आंसू पलक में रोककर देखा किया तुझे
- तेरी उदासियों में तस्वीर है मेरी
- ये सोचके बस एकटक देखा किया तुझे
- ****************************
- गिडगिडाना है नहीं अब जोर की हुंकार हो |
- याचना निष्फल हुई तलवार में अब धार हो ||
- राजनीती बन चुकी है दो मुहों की सर्पिणी |
- दूध देना व्यर्थ है अब शेष की फुफकार हो ||
- आज कल जनता जनार्दन पर लाठियां चल रहीं |
- चक्र धारी तुम बनों मृतप्राय अब गद्दार हो ||
- हुक्मरानों का हुआ है रक्त दूषित अब यहाँ |
- वो निकलना है जरूरी तीर आरम्पार हो ||
- त्याग दो अब वस्त्र भगवा वीरता ललकार हो |
- अब सियासी पर्वतो पर वज्र जैसी मार हो ||
- मुफ्लिसी की मार से कंगाल अब कंकाल है |
- जी रहे है लाश बन लाचार पर ना वार हो ||
- रक्त रंजित मेदिनी हो जायेगी सुन बेरहम |
- कह रहा शिव छोड़ गद्दी तेरा भी उद्धार हो ||
- ****************************
- सुबह का हर पल अरमान बनके आये; दिन का उजाला नई शान बनकर आये;
- चमकती रहे आपके चेहरे पर हंसी;
- हर नया दिन ऐसा मेहमान बनकर आये।
- गुड मॉर्निंग!
- ****************************
- फिजा में महकती शाम हो तुम;
- प्यार में झलकता जाम हो तुम;
- सीने में छुपाए फिरते हैं हम यादें तुम्हारी;
- इसलिए मेरी जिंदगी का दूसरा नाम हो तुम।
- सुप्रभात!
- ****************************
- दोस्ती एक प्यार भरा पैगाम है;
- ये तो सबसे खूबसूरत रिश्ते का नाम है;
- आंसू के बदले हंसी देना इसका काम है;
- इस मजबूत बंधन को दिल से सलाम है। सुप्रभात!
- ****************************
- तेरी हर सुबह मुस्कुराती रहे;
- तेरी हर शाम गुनगुनाती रहे;
- तू जिसे भी मिले इस तरह से मिले;
- कि हर मिलने वाले को तेरी याद आती रहे।
- गुड मॉर्निंग!
- ****************************
- इन बादलों का मिज़ाज खूब मिलता है मेरे अपनों से;
- कभी टूट के बरस जाते हैं;
- तो कभी बे-रुखी से गुजर जाते हैं।
- सुप्रभात!
- ****************************
- ईश्वर कहते हैं उदास ना हो मैं तेरे साथ हूँ;
- सामने नहीं आस पास हूँ;
- पलकों को बंद कर और दिल से याद कर;
- मैं कोई और नहीं तेरा विश्वास हूँ।
- ****************************
- रात ने चादर समेट ली है;
- सूरज ने किरणें बिखेर दी है;
- चलो उठो और शुक्रिया करो अपने भगवान का;
- जिसने हमें ये प्यारी सुबह दी है।
- गुड मॉर्निंग!
- विक्रमसिंह नेगी
- विक्रमसिंह नेगी
- जानवरों की विशेषताएं -:
- बन्दर - बुद्धिमान
- कुत्ता – वफादार
- आप कृपया इससे आगे मत पढ़ना …
- …
- मान जाओ …
- …
- मत पढ़ो …
- …
- गधा – वही करता है जिस काम को मना करो ….
- खुश थे अकेले सफ़र में हम ,कोई अनजाना मिल गया
- साथ चला यूं ऐसा लगा ज़माना मिल गया
- चलते -चलते हुआ वो मेहरबान हम पे कुछ इस तरह
- जैसे किसी बहते हुए सागर को किनारा मिल गया
- कुछ देर चला सफ़र में साथ,
- जैसे प्यार में कोई आशिके दीवाना मिल गया..
- मंजिल अलग है हमारी , मुश्किल है सफ़र हमारा.
- बस मेरा इतना सा समझाना,
- और उसे अलग होने का बहाना मिल गया…
- ****************************
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