ज़ख्म सब भर गए बस एक चुभन बाकी है....!!!
हाथ में तेरे भी पत्थर था हजारों की तरह....!!!
पास रहकर भी कभी एक नहीं हो सकते....!!!
कितने मजबूर हैं दरिया के किनारों की तरह....!!!
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है....!!!
ज़ुल्फ़-ओ-रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है....!!!
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में....!!!
इश्क ही इक हकीकत नहीं कुछ और भी है....!!!
हो सके तो पहचान लो
मेरे दर्द का सबब मेरी नज़र से
ऐ दोस्तों
मै ज़ुबान से कहूंगा....!!!....!!!....!!!
तो कुछ लोग रुसवा हो जायेंगे....!!!
ज़िन्दगी देने वाले यूँ मरता छोड़ गए....!!!
अपनापन जताने वाले यूँ तनहा छोड़ गए....!!!
जब पड़ी जरुरत हमें अपने हमसफ़र की....!!!
तो साथ चलने वाले अपना रास्ता मोड़ गए....!!!
दर्द तो बहुत है दिल में
पर दिखा नही सकते....!!!
करते है मोहब्बत तुमसे
पर बता नही सकते....!!!
दर्द होता है मगर शिकवा नहीं करते....!!!
कौन कहता है कि हम वफा नही करते....!!!
आखिर क्युँ नहीं बदलती तकदीर “आशिक” की
क्या मुझको चाहने वाले मेरे लिए दुआ नहीं करते....!!!
जब कभी तेरा नाम लेते हैं....!!!
दिल से हम इन्तेकाम लेते हैं....!!!
मेरी बरबादियों के अफसाने
मेरे यारों का नाम लेते हैं....!!!
भुला कर हमें क्या वो खुश रह पाएंगे....!!!
साथ में नही तो मेरे जाने के बाद मुस्कुरायेंगे....!!!
दुआ है खुदा से की उन्हें कभी दर्द न देना....!!!
हम तो सह गए पर वो टूट जायेंगे....!!!
दर्द को छुपाए बैठा रहा....!!!
आंखों की नमी को छुपाए बैठा रहा....!!!
उम्मीद टूटी नहीं है अभी भी....!!!
तेरे लौट आने की खुशी में बैठा रहा....!!!
ना कर तू इतनी कोशिशे....!!!
मेरे दर्द को समझने की....!!!
पहले इश्क़ कर....!!!
फिर चोट खा....!!!
फिर लिख दवा मेरे दर्द की....!!!
बहुत हो चुका इंतज़ार उनका....!!!
अब और ज़ख़्म सहे जाते नही....!!!
क्या बयान करें उनके सितम को....!!!
दर्द दिल के हैं कहे जाते नही....!!!
मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ....!!!
कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है....!!!
रात को कह दो....!!! कि जरा धीरे से गुजरे;
काफी मिन्नतों के बाद....!!! आज दर्द सो रहा है....!!!
ना किया कर अपने दर्द को
शायरी में बयान ऐ दिल....!!!
कुछ लोग टूट जाते हैं
इसे अपनी दास्तान समझकर....!!!
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता....!!!
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता....!!!
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में....!!!
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता....!!!
कितना लुत्फ ले रहे हैं लोग मेरे दर्द-ओ-ग़म का....!!!....!!!....!!!
ऐ इश्क देख तूने तो मेरा तमाशा ही बना दिया ....!!!
ना तसवीर है तुम्हारी जो दीदार किया जाये....!!!
ना तुम हो मेरे पास जो प्यार किया जाये....!!!
ये कौन सा दर्द दिया है तुमने ऐ सनम....!!!
ना कुछ कहा जाये ना तुम बिन रहा जाये....!!!
बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नहीं जाता....!!!
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता....!!!
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में....!!!
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता....!!!
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी....!!!
सुनते थे कि वो आयेंगे सुनते थे सुबह होगी ....!!!
कब जान लहू होगी....!!! कब अश्क गुहर होगा....!!!
किस दिन तेरी शुनवाई....!!! ऐ दीद-ए-तर होगी....!!!
रोज़ पिलाता हूँ एक ज़हर का प्याला उसे....!!!....!!!....!!!
एक दर्द जो दिल में है मरता ही नहीं है ....!!!
चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो....!!!
झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो....!!!
जिंदगी वीरान थी और मौत भी गुमनाम ना हो....!!!
मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो....!!!
बयाँ करना मोहब्बत को
आसान ना हुआ था ....!!!
ये तो दर्द है कैसे कह दूँ
कि ये तुमने दिया है ....!!!
मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है....!!!
ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है ....!!!
मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना....!!!
तेरे दर्द का ये असर आख़िरी है ....!!!
हकीकत में खामोशी
कभी भी चुप नहीं रहती....!!!
कभी तुम ग़ौर से सुनना
बहुत किस्से सुनाती है ....!!!
कभी हमने सोचा न था....!!!
तुमसे जुदा हो जायेंगे....!!!
सांसे खफा हो जायेंगी....!!!
हम दर-बदर हो जायेंगे....!!!
ख्वाबों में आकर इस-कदर....!!!
हमको जलाया ना करो....!!!
दीवाने हैं....!!! दीवानों का क्या....!!!
इक दिन फना हो जायेंगे....!!!....!!!....!!!
हम ने कब माँगा है तुम से
अपनी वफ़ाओं का सिला....!!!
बस दर्द देते रहा करो
मोहब्बत बढ़ती जाएगी ....!!!
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर....!!!
मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की
जब जहाँ जो मिला अपना लिया....!!!
जो न मिला उसकी ख्वाहिश न की....!!!
नफ़रत करना तो हमने कभी सिखा ही नहीं....!!!
मैंने तो दर्द को भी चाहा है अपना समझ कर....!!!
एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे....!!!
तू मिलेगी मुझे हर दरवाज़े के पीछे....!!!
पर तू मुझे रुसवा कर गई....!!!
एक तू ही न थी मेरे जनाजे के पीछे
एक वादा था मेरा हर वादे के पीछे....!!!
मैं मिलूंगी तुझे हर दरवाज़े के पीछे....!!!
पर तुने ही मुड़ के न देखा....!!!
एक और जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे....!!!....!!!....!!!
इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-ग़म अक्सर....!!!
कि दर्द हद से जो गुज़रेगा तो मुस्कुरा दूंगा....!!!....!!!....!!!!
खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगी....!!!
बस प्यार की मोहताज़ है मेरी ज़िन्दगी....!!!
हँस लेता हूँ लोगों को दिखाने के लिए....!!!
वैसे तो दर्द की किताब है मेरी ज़िन्दगी....!!!
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर
कल वो कह गये भुला दो हुमको
हमने पूछा कैसे....!!!....!!!....!!!
तो चले गये हाथो मे जाम देकर...!!
वो जो तुमसे रुबरु करवाता है....!!!
आजकल वो आइना भी हमसे रूठा है....!!!
रिहाई दे दो हमें अपनी मोहब्बत की कफस से....!!!
कि अब ये दर्द हमसे और सहा नहीं जाता....!!!
मोहब्बत का घना बादल बना देता तो अच्छा था....!!!
मुझे तेरी आँख का काजल बना देता तो अच्छा था....!!!
तुझे पाने की ख्वाइश अब जीने नहीं देती....!!!
खुदा तू मुझे पागल बना देता तो अच्छा था....!!!
ज़िक्र उस का ही सही बज़्म में बैठे हो फ़राज़....!!!
दर्द कैसा भी उठे हाथ न दिल पर रखना....!!!
दुनिया बहुत मतलबी है....!!!
साथ कोई क्यों देगा....!!!
मुफ्त का यहाँ कफ़न नहीं मिलता....!!!
तो बिना गम के प्यार कौन देगा....!!!
बिजलियाँ टूट पड़ी....!!!....!!!....!!! जब वो मुकाबिल से उठा....!!!
मिल के पलटी थीं निगाहें कि धुआँ दिल से उठा....!!!
ख्वाहिश तो ना थी किसी से दिल लगाने की....!!!
मगर जब किस्मत में ही दर्द लिखा था....!!!....!!!....!!!
तो मोहब्बत कैसे ना होती....!!!
इलाजे-दर्दे-दिल तुमसे मसीहा हो नहीं सकता....!!!
तुम अच्छा कर नहीं सकते मैं अच्छा हो नहीं सकता....!!!
एक हसरत थी कि उनके दिल में पनाह मिलेगी....!!!
क्या पता था उनसे मोहब्बत की सज़ा मिलेगी....!!!
न अपनों ने समझा न गैरों ने जाना....!!!
क्या पता था मेरी तक़दीर ही मुझे बेवफा मिलेगी....!!!
ज़िस्म से मेरे तड़पता दिल कोई तो खींच लो....!!!
मैं बगैर इसके भी जी लूँगा मुझे अब ये यकीन है....!!!
जो नजर से गुजर जाया करते हैं....!!!
वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं....!!!
कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते....!!!
बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं....!!!
तू तब तक रूला सकती है हमें....!!!
जब तक हम दिल मे बसाये हैं तुझे....!!!
सीख रहा हूँ मै भी अब मीठा झूठ बोलने का हुनर....!!!
कड़वे सच ने हमसे....!!! ना जाने....!!! कितने अज़ीज़ छीन लिए....!!!



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