ये इश्क़ के घाव बहुत गहरे है;
दर्द भी देते हैं और भरते भी नहीं......####
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ना पूछ दिल की हक़ीक़त मगर ये कहता है;
वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया......####
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वो मेरे दिल पर सिर रखकर सोई थी बेखबर;
हमने धड़कन ही रोक ली कि कहीं उसकी नींद ना टूट जाए......####
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आँसू आ जाते हैं आँखों में;
पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है;
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो;
जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है......####
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रिश्तों का धागा इतना कच्चा नहीं होता;
किसी का दिल तोड़ना अच्छा नहीं होता;
प्यार तो दिल की आवाज़ है;
कौन कहता है एक तरफ़ का प्यार सच्चा नहीं होता......####
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कितना प्यार है उनसे काश वो ये जान लें;
वो ही है ज़िंदगी मेरी ये बात मान लें;
उनको देने को नहीं कुछ पास हमारे;
बस एक जान है हमारी जब चाहे मांग लें......####
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जिनको हमने चाहा मोहब्बत की हदें तोड़ कर;
आज उसने देखा नहीं निगाह मोड़ कर;
ये जान कर बहुत दुःख हुआ मुझे;
कि वो खुद भी तन्हा हो गये मुझे छोड़ कर......####
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ऐ मोहब्बत, तुझे पाने की कोई राह नहीं;
तू तो उसे ही मिलेगी, जिसे तेरी परवाह नहीं......####
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कसूर ना उनका था ना हमारा;
हम दोनों ही रिश्तों की रसम निभाते रहे;
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे;
और हम मोहब्बत को दिल में छुपाते रहे......####
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वो खुदा था मेरा अब मेरा ईमान है;
चला गया छोड़ कर, इसलिए दिल उदास है;
बेवफा नही कहूंगा मैं उसको;
क्यूंकी इश्क़ करना उसका मुझ पर अहसान है......####
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प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है;
दोस्ती मेँ कोई तो भरोसा तोड़ देता है;
जिंदगी जीना तो कोई गुलाब से सीखे;
जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है......####
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कैसा सितम है आपका यह कि रोने भी नहीं देता;
करीब आते नहीं और खुद से जुदा होने भी नहीं देता......####
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जिस तरह रगों में खून रहता है;
इस तरह तेरी चाहत का जुनून रहता है;
ज़िंदगी की हर ख़ुशी मंसूब है तुमसे;
बात हो तुमसे तो दिल को सुकून रहता है......####
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अब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ;
लोग जल जल कर ख़ाक हुए जाते हैं;
उड़ता है दिल से जैसे धुआँ;
बस वो छूने से ही राख हुए जाते है......####
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हाँ! मुझे रस्म-ए-मोहब्बत का सलीक़ा ही नहीं;
जा! किसी और का होने की इजाज़त है तुझे......####
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तलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदू;
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब मांगते हैं......####
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देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं;
दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं;
नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से हो कर;
फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं......####
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कहते हैं ग़ज़ल क़ाफ़िया-पैमाई है नासिर;
ये क़ाफ़िया-पैमाई ज़रा कर के तो देखो......####
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बेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं तेरे पास आने को;
ये दिल बेकरार है तुझे धड़कन में बसाने को;
बुझी नहीं प्यास इन होंठों की अभी;
न जाने कब मिलेगा सुकून तेरे इस दीवाने को......####
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यूँ तो तमन्नाएं दिल में ना थी हमें लेकिन;
ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक़ बन बैठे;
बंदगी तो खुदा की भी करते थे लेकिन;
ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे......####
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तुम बिन ज़िंदगी सूनी सी लगती है;
हर पल अधूरी सी लगती है;
अब तो इन साँसों को अपनी साँसों से जोड़ दे;
क्योंकि अब यह ज़िंदगी कुछ पल की मेहमान सी लगती है......####
***************************
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे;
खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे;
अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो;
तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे......####
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हम फिर उनके रूठ जाने पर फ़िदा होने लगे;
फिर हमे प्यार आ गया जब वो ख़फ़ा होने लगे......####
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संगमरमर के महल में तेरी ही तस्वीर सजाऊंगा;
मेरे इस दिल में ऐ प्यार तेरे ही ख्वाब सजाऊंगा;
यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा;
मैं तो प्यार का हूँ प्यासा जो तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा......####
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तपिश से बच के घटाओं में बैठ जाते हैं;
गए हुए कि सदाओं में बैठ जाते हैं;
हम इर्द-गिर्द के मौसम से घबरायें;
तेरे ख्यालों की छाओं में बैठ जाते हैं......####
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हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथ;
ले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ......####
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इश्क़ का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करूँ;
आप भूल भी जाओ तो मैं हर पल याद करूँ;
इस इश्क़ ने बस इतना सिखाया है मुझे;
कि खुद से पहले आपके लिए दुआ करूँ......####
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मुझे भी अब नींद की तलब नहीं;
अब रातों को जागना अच्छा लगता है;
पता नहीं वो मेरी तकदीर में है कि नहीं;
पर उसे खुदा से माँगना अच्छा लगता है......####
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यूँ तो तमन्ना दिल में ना थी लेकिन;
ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक बन बैठे;
बंदगी तो खुदा की भी करते थे लेकिन;
ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे......####
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तू कहीं हो दिल-ए-दीवाना वहाँ पहुँचेगा;
शमा होगी जहाँ परवाना वहाँ पहुँचेगा......####
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ये चांदनी रात बड़ी देर के बाद आयी;
ये हसीं मुलाक़ात बड़ी देर के बाद आयी;
आज आये हैं वो मिलने को बड़ी देर के बाद;
आज की ये रात बड़ी देर के बाद आयी......####
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ऐसा क्या कह दूं कि तेरे दिल को छू जाए;
ऐसी किससे दुआ मांगू कि तू मेरी हो जाए;
तुझे पाना नहीं तेरा हो जाना है मन्नत मेरी;
ऐसा क्या कर दूं कि ये मन्नत पूरी हो जाए......####
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तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी;
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे......####
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हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं;
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं......####
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आपके बिन टूटकर बिखर जायेंगे;
मिल जायेंगे आप तो गुलशन की तरह हम खिल जायेंगे;
अगर न मिले आप तो जीते जी मर जायेंगे;
पा लिया जो आपको तो मर कर भी जी जायेंगे......####
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तेरी आवाज़ की शहनाइयों से प्यार करते हैं;
तस्सवुर मैं तेरे तन्हाइयों से प्यार करते हैं;
जो मेरे नाम से तेरे नाम को जोड़े ज़माने वाले;
उन चर्चों से अब हम प्यार करते हैं......####
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कोई तीर जैसे जिगर के पार हुआ है;
जाने क्यों दिल इतना बेक़रार हुआ है;
पहले कभी देखा न मैंने तुम्हें;
फिर भी क्यों ऐ अजनबी इस कदर तुमसे प्यार हुआ है......####
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आँखें मुझे तलवे से मलने नहीं देते;
अरमान मेरे दिल के निकलने नहीं देते;
खातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते;
सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं दते;
किसी नाज़ से कहते हैं झुंझला के शब-ए-वस्ल;
तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते......####
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वो लाख तुझे पूजती होगी मगर तू खुश न हो ऐ खुदा;
वो मंदिर भी जाती है तो मेरी गली से गुजरने के लिए......####
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मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है;
लोगो में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है;
अब ये आइना भी किस काम का मेरे;
मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है......####
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सपनों की दुनिया में हम खोते चले गए;
मदहोश न थे पर मदहोश होते चले गए;
ना जाने क्या बात थी उस चेहरे में;
ना चाहते हुए भी उसके होते चले गए......####
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आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या;
क्या बताऊँ कि मिरे दिल में हैं अरमाँ क्या क्या;
ग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखी;
देखें दिखलाए अभी गर्दिश-ए-दौराँ क्या क्या......####
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जब कभी टूट कर बिखरो तो बताना हमको;
हम तुम्हें रेत के जर्रों से भी चुन सकते हैं......####
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क्या इश्क़ एक ज़िंदगी-ए-मुस्तआर का;
क्या इश्क़ पाएदार से ना-पाएदार का;
वो इश्क़ जिस की शमा बुझा दे अजल की फूँक;
उस में मज़ा नहीं तपिश-ओ-इंतिज़ार का......####
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अजब अपना हाल होता जो वस्ल-ए-यार होता;
कभी जान सदके होती कभी दिल निसार होता;
कोई फ़ित्ना या क़यामत न फिर अश्कार होता;
तेरे दिल पे ज़ालिम काश मुझे इख़्तियार होता......####
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ऊपर से गुस्सा दिल से प्यार करते हो;
नज़रें चुराते हो दिल बेक़रार करते हो;
लाख़ छुपाओ दुनिया से मुझे ख़बर है;
तुम मुझे ख़ुद से भी ज्यादा प्यार करते हो......####
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ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो;
नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें;
अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिलें......####
***************************
हमसफ़र तो साथ-साथ चलते हैं;
रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं;
आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में;
जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं......####
***************************
घर से बाहर वो नक़ाब मे निकली;
सारी गली उनकी फिराक मे निकली;
इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बत से;
और हमारी ही तस्वीर उनकी किताब से निकली......####
***************************
मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदा;
बरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए।......####
***************************
निकलते हैं तेरे आशियां के आगे से यह सोच कर कि तेरा दीदार हो जायेगा;
खिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा......####
***************************
चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं;
मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं;
बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो;
इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं......####
***************************
साहिल पर खड़े-खड़े हमने शाम कर दी;
अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी;
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी;
बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी......####
***************************
आँखों मे आ जाते है आँसू;
फिर भी लबों पे हँसी रखनी पड़ती है;
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो;
जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है......####
************************
न हम कुछ कह पाते हैं, न वो कुछ कह पाते हैं;
एक दूसरे को देखकर गुजर जाया करते हैं;
कब तक चलता रहेगा ये सिलसिला;
ये सोचकर दिन गुजर जाया करते हैं......####
***************************
शायर तो हम है शायरी बना देंगे;
आपको शायरी मे क़ैद कर लेंगे;
कभी सुनाओ हमें अपनी आवाज़;
आपकी आवाज़ को हम ग़ज़ल बना देंगे......####
***************************
कब तक होश संभाले कोई, होश उड़े तो उड़ जाने दो;
दिल कब सीधी राह चला है, राह मुड़े तो मुड़ जाने दो......####
***************************
नक़ाब क्या छुपाएगा शबाब-ए-हुस्न को;
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है......####
***************************
मोहब्बत एक नाम है दर्द और ख़ुशी की कहानी का;
मोहब्बत एक नाम है हर पल मुस्कुराने का;
ये कोई लम्हा दो लम्हों की पहचान नहीं है;
मोहब्बत एक नाम है हर पल साथ निभाने का......####
***************************
होठों पर मोहब्बत के फ़साने नहीं आते;
साहिल पर समंदर के खजाने नहीं आते;
पलकें भी चमक उठती हैं सोते हुए हमारी;
आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते......####
***************************
फ़िज़ा को महकाती शाम हो तुम;
प्यार में छलकता जाम हो तुम;
तुम्हें दिल में छुपाये फिरते हैं;
मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम......####
***************************
मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है;
लोगों में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है;
अब ये आइना भी क्या काम का मेरे;
मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है......####
***************************
यूँ ही तो नहीं दिल मेरा तुझे तलाशता फिरता;
कर यकीन मंज़िल का तू ही है किनारा मेरा;
यूँ ही तो नहीं आयी सदा तेरी हवाओं में बह कर;
हौले से तूने ही होगा नाम पुकारा मेरा......####
***************************
अरे आप क्यों नहीं समझते हो सनम;
दिल का दर्द दबता नहीं है दबाने से;
आपको मोहब्बत का इज़हार करना ही पड़ेगा;
क्योंकि मोहब्बत छुपती नहीं छुपाने से......####
*************************
वो बात क्या करूँ जिसकी खबर ही न हो;
वो दुआ क्या करूँ जिसमे असर ही न हो;
कैसे कह दूँ आपको लग जाये मेरी भी उम्र;
क्या पता अगले पल मेरी उम्र ही न हो......####
***************************
छुपा लूंगा तुझे इस तरह से मेरी बाहों में;
हवा भी गुज़रने के लिए इज़ाज़त मांगे;
हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश इस तरह;
कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त मांगे......####
***************************
उधर ज़ुल्फ़ों में कंघी लग रही है और ख़म निकलता है;
इधर रग-रग से खिंच-खिंच के हमारा दम निकलता है;
इलाही ख़ैर कर उलझन पे उलझन पड़ती जाती है;
ना उनका ख़म निकलता है ना अपना दम निकलता है......####
***************************
इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बे-हद;
अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता......####
***************************
तू ही बता ए दिल तुम्हें समझाऊं कैसे;
जिसे चाहता है तू उसे नज़दीक लाऊँ कैसे;
यूँ तो हर तमन्ना हर एहसास है वो मेरा;
मगर उस एहसास को ये एहसास दिलाऊं कैसे......####
***************************
क्या ज़रूरी है कि हम हार के जीतें 'तबिश';
इश्क़ का खेल बराबर भी तो हो सकता है......####
***************************
कभी लफ्ज़ भूल जाऊं, कभी बात भूल जाऊं;
तूझे इस क़द्र चाहूँ के अपनी ज़ात भूल जाऊं;
उठ के तेरे पास से जो में चल दूँ;
जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊं......####
***************************
अब मगर कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं हो सकता;
अपने जज़्बों से यह रंगीन शरारत न करो;
कितनी मासूम हो, नाज़ुक हो, हमाक़त न करो;
बार बार हाँ तुम से कहा था कि मोहब्बत न करो......####
***************************
फिर न सिमटेगी मोहब्बत जो बिखर जायेगी;
ज़िंदगी ज़ुल्फ़ नहीं जो फिर संवर जायेगी;
थाम लो हाथ उसका जो प्यार करे तुमसे;
ये ज़िंदगी ठहरेगी नहीं जो गुज़र जायेगी......####
***************************
जिस रंग में देखो उसे वो पर्दानशीं है;
और उस पे ये पर्दा है कि पर्दा ही नहीं है;
मुझ से कोई पूछे तेरे मिलने की अदायें;
दुनिया तो यह कहती है कि मुमकिन ही नहीं है......####
***************************
कौन कहता है मोहब्बत की ज़ुबान होती है;
होंठों के बिना खुले ही हक़ीक़त बयां होती है;
इश्क़ वो खुदायी है मेरे दोस्त,
जो लफ़्ज़ों से नहीं आँखों से बयां होती है......####
***************************
सरे राह जो उनसे नज़र मिली,
तो नक़्श दिल के उभर गए;
हम नज़र मिला कर झिझक गए,
वो नज़र झुका कर चले गए......####
***************************
जब आंसू आए तो रो जाते हैं;
जब ख्वाब आए तो खो जाते हैं;
नींद आंखो में आती नहीं;
बस आप ख्वाबो में आयेंगे, यही सोच कर सो जाते हैं......####
***************************
ना जाने इतनी मुहब्बत कहां से आई है उसके लिये;
कि मेरा दिल भी उसकी खातिर मुझसे रूठ जाता है......####
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ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्रो-करार;
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी......####
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मोहब्बत के बाद मोहब्बत मुमकिन तो है;
पर टूट कर चाहना सिर्फ एक बार होता है......####
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हज़ार चेहरों में उसकी मुशाहबतें मिले मुझ को;
पर दिल की ज़िद थी अगर वो नहीं तो उस जैसा भी नहीं......####
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तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने;
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला......####
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उससे कहो के मेरी सजा को कुछ कम कर दे;
मैं आदि मुजरिम नहीं हूँ गलती से इश्क हुआ था......####
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मेरे इन होंठों पर तेरा नाम अब भी है;
भले छीन ली तुमने मुस्कुराहट हमारी......####
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हमारे प्यार का यूँ इम्तिहान ना लो;
करके बेरुखी मेरी तुम जान ना लो;
एक इशारा कर दो हम खुद मर जाएंगे;
हमारी मौत का खुद पर इल्ज़ाम ना लो......####
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चाहने वाले की जानता है अजमत कोई-कोई;
दिल से करता है आज मोहब्बत कोई-कोई;
मोहब्बत में चाहते हैं सब अशूक यार;
दीवाने की माफिक चाहे तुरबत कोई-कोई......####
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कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी;
चंद सिक्कों के लिए तुने क्या नहीं खोया है;
माना नहीं है मखमल का बिछोना मेरे पास;
पर तु ये बता, कितनी राते चैन से सोया है......####
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तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो;
किस-किस को बताओगे घर क्यों नहीं जाते......####
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अगर इश्क़ गुनाह है गुनाहगार है खुदा;
जिसने बनाया दिल किसी पर आने के लिए......####
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मोहब्बत की हद्द है सितारों से आगे;
प्यार का जहाँ है बहारों से आगे;
वो दीवानों की कश्ती जब बहने लगी;
तो बहते बह गई किनारों से आगे......####
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कहते हैं लोग खुदा की इबादत है;
ये मेरी समझ में तो एक जहालत है;
चैन न आए दिल को, रात जाग के गुजरे;
जरा बताओ दोस्तों क्या यही मोहब्बत है......####
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है इश्क़ की मंज़िल में हाल के जैसे;
लुट जाए कहीं राह में सामान किसी का......####
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ना इश्क़ का इज़हार किया, ना ठुकरा सके हमें वो;
हम तमाम ज़िंदगी मज़लूम रहे, उनके वादा मोहब्बत के......####
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एहसास के दामन में आंसू गिराकर देखो;
प्यार कितना है आजमा कर देखो;
तुम्हें भूल कर क्या होगी दिल की हालत;
किसी आईने पे पत्थर गिराकर तो देखो......####
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लोगों ने कहा तुम उसको याद क्यों करते हो;
जो तुम्हे याद ही नहीं करता;
तड़प कर दिल बोला;
मोहब्बत करने वाले कभी मुक़ाबला नहीं करते......####
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इश्क़ की बंदगी दी है तो हुस्न की इबादत जरूरी है;
इश्क़ से जीने की आस रहेगी और हुस्न से तड़प का सकून......####
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आँखों में इश्क़, लब पे ख़ामोशी;
अंदाज़ में इकरार, जिस्म में इंकार;
कहाँ जाएं मोहब्बत करने वाले;
एक तरफ जन्नत, दूसरी तरफ जहन्नुम......####
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इश्क़ पर ज़ोर नहीं, यह वो आतिश ग़ालिब;
के लगाए ना लगे और बुझाए ना बुझे......####
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