नशा पिला के गिराना तो
सब को आता है....!!!
मज़ा तो तब है कि
गिरतों को थाम ले साक़ी ....!!!
थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए....!!!
थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए....!!!
यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत....!!!....!!!....!!!
शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए....!!!
मय छलक जाए तो कमजर्फ हैं पीने वाले....!!!
जाम खाली हो तो साकी तेरी रूसवाई है....!!!
शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए....!!!
यह मुस्कराती हुई चीज मुस्करा के पिला....!!!
सरूर चीज के मिकदार में नहीं मौकूफ....!!!
शराब कम है साकी तो नजर मिला के पिला....!!!
होने को आई शाम....!!! इन गहराए बादलो में....!!!
तन को लगी शीतल बहार....!!! तलब हुई मयखानों की....!!!
सोचा मंगा लूँ मदिरा....!!! करूँ यहीं बैठकर पान....!!!
फिर सोचा चलूँ मयखाने....!!! करने साकी तेरा दीदार....!!!
किया साकी दीदार तेरा....!!! चढ़ गई मुझको हाला....!!!
चढ़ी हाला मुझको ऐसी....!!! नही जग ने सम्भाला....!!!
हुई भोर चढ़ा सूरज....!!! दिन कब ढल गया....!!!
फिर हुआ वही साकी....!!! जो पिछली शाम हुआ....!!!
चला मै उसी राह....!!! जिस राह पर मयखाना था....!!!
पर आज तू नहीं....!!! यहाँ तो मद्द का प्याला था....!!!
हो आई तलब आज फिर से साकी तेरी....!!!
इस जग से रुसवा हो जाऊँ....!!! या फिर तु हो जा मेरी....!!!
आज फिर तुमने मुझे बताया कि मै कौन हूँ....!!!
वरना मै तो केवल तुम्हारे भीतर ही समाया था....!!!
हम वो नही साकी....!!! जो बेकद्र-ऐ-मोहब्बत हो....!!!
हम वो है साकी....!!! जो शजर-ऐ-मोहब्बत हो....!!!
तुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है
हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था....!!!
ये ना पूछ मै शराबी क़्यूं हुआ....!!!
बस यूं समझ ले....!!!....!!!
गमों के बोझ से....!!!
नशे की बोतल सस्ती लगी ....!!!
होशो हवास में बहको तो कोई बात बने....!!!
युं नशे में लुढ़कना तो यार पुराना हुआ ....!!!
पीने से कर चुका था मैं तौबा दोस्तों....!!!
बादलो का रंग देख नीयत बदल गई....!!!....!!!
छीनकर हाथों से जाम
वो इस अंदाज़ से बोली....!!!
कमी क्या है इन होठों में
जो तुम शराब पीते हो ....!!!


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